tag:blogger.com,1999:blog-5804599932580301957.post6316333006831734055..comments2023-09-26T19:57:38.188+05:30Comments on चीरफाड़: खबरदार, सरकार ऐसी हिमाकत न करे ....!एस.एन. विनोद !http://www.blogger.com/profile/15928209423094784655noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5804599932580301957.post-66986663201688791982009-01-19T16:06:00.000+05:302009-01-19T16:06:00.000+05:30sarkar chahti hai ki press me uske prawakta baithe...sarkar chahti hai ki press me uske prawakta baithen. ye swikar nahi kiya ja sakta. safal aur sachhe loktantra ke liye ye ankush bardast nahi kiya jana chahiye, kiya bhi nahi jayega. ye sahi hai ki media ke seriousnes me kami aayi hai aur iske liye media se jure logon ko apni samiksha karni chahiye. ye jaruri bhi hai.<BR/>rajesh ranjan<BR/>chief sub editor<BR/>amar ujala<BR/>panchkula.rajesh ranjanhttps://www.blogger.com/profile/15808680935158984268noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5804599932580301957.post-41250363596313407452009-01-15T16:15:00.000+05:302009-01-15T16:15:00.000+05:30aapne bilkul sahi likha hai. is tarah ke kale kano...aapne bilkul sahi likha hai. is tarah ke kale kanoon media ki azadi per sendh lagane ke liye hi hain jiska her media karmi ko atyant kara prativad karna hi chahiye.<BR/>anand singh<BR/>rashtriya sahara<BR/>gorakhpuranandsinghhttps://www.blogger.com/profile/04937050888461296710noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5804599932580301957.post-72068775175413635472009-01-14T06:38:00.000+05:302009-01-14T06:38:00.000+05:30सेंसरशिप का कड़ा विरोध होना चाहिये. देखना यह है कि...सेंसरशिप का कड़ा विरोध होना चाहिये. देखना यह है कि पत्रकार बिरादरी एकजुट रहें. इसे इलेक्ट्रानिक मीडिया में ख़बरें पेश करने के तरीके से प्रिंट मीडिया के जर्नलिस्ट जरूर असहमत हों लेकिन सरकारी दखलंदाजी का कड़ा विरोध मिल-जुलकर किया जाये. मुम्बई हमला एक अप्रत्याशित घटना थी, यदि कोई चूक इलेक्ट्रानिक मीडिया ने इसके प्रसारण में की तो उसे सुधारने का भी वादा इसके बाद किया है. कई चैनलों ने तो बड़े संयम और जवाबदेही का परिचय इस मौके पर भी दिया. आख़िर उन्हें प्रबुध्द दर्शकों की आलोचना की परवाह है. भारत में इलेक्ट्रानिक मीडिया को प्रिंट मीडिया की तरह परिपक्व होने में अब ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. अब प्रिंट के लोग इलेक्ट्रानिक में तथा इलेक्ट्रानिक की सम्पादकीय टीम प्रिंट में आ-जा रहे हैं. सरकार कोई काला कानून लाकर हस्तक्षेप करने का दुस्साहस न करे, पत्रकार हर रोज जनता की अदालत का सामना करते हैं. मीडिया की दिशा व दशा वे ही तय करेंगे न कि नौकरशाह.राजेश अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/03166713468895085704noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5804599932580301957.post-65077323468037404442009-01-13T07:18:00.000+05:302009-01-13T07:18:00.000+05:30sahi kaha aapne.sahi kaha aapne.ambrish kumarhttps://www.blogger.com/profile/06358926836403366672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5804599932580301957.post-45554684188078453242009-01-13T06:07:00.000+05:302009-01-13T06:07:00.000+05:30मीडिया पर पाबंदिया लगाना कतई उचित नहीं है। मीडिया ...मीडिया पर पाबंदिया लगाना कतई उचित नहीं है। मीडिया को क्या करना चाहिए और क्या नहीं इस पर मीडिया के लोग बैठकर एक आदर्श आचार संहिता बना सकते हैं लेकिन सरकार जिस तरह हस्तक्षेप का प्रयास करना चाहती है उसका जमकर विरोध किया जाना चाहिए।<BR/>मीडिया खासकर इलेक्ट्रॉनिक में न्यूज के नाम पर काफी कचरा भी परोसा जा रहा है। जैसे भूत प्रेत, नाग नागिन और अपराध तो ऐसे दिया जा रहा है जैसे भारत अपराधों का महादेश है। इसके लिए आड यह ली जा रही है कि लोग यह देखना पसंद करते हैं। मैं कहता हूं कि लोग तो ब्लू फिल्में देखना ज्यादा पसंद करते हैं। क्यों नहीं टीवी चैनल वाले ब्लू फिल्में ही चला देते। इससे जहां उनके दर्शक बढ़ जाएंगे वही टीआरपी पूरी दुनिया में पहले नंबर पर पहुंच जाएगी।<BR/>विकसित देशों में पहले यह खूब कहा जाता था कि भारत सांप और मदारियों का देश है और आज जिस तरह सांप, भूतों और अपराधो की खबरों को खूब गरम मसाला लगाकर परोसा जा रहा है उससे हमारी छवि में कोई खास बदलाव नहीं आएगा और अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमें फिर से सांप व मदारियों का देश समझा जाएगा। इन खबरों के आधार पर यह देश आर्थिक महासत्ता या एशिया में राजनीतिक ताकत नहीं बन सकता। <BR/>टीवी चैनलों में इन दिनों एक नया रोग और आया है। दिन भर यूटयूब दिखते रहो और उनमें से सनसनी टाइप के विजुअल उठाकर टीवी पर दिखाते रहो। चाहे वे चार वर्ष पुराने हो लेकिन आज का यह कहकर दिखाओं। शायद टीवी मीडिया जनता को मूर्ख समझता है। मीडिया वालों को खुद बैठकर एक आदर्श आचार संहिता बनानी चाहिए और उस पर कडाई से अमल होना चाहिए। सरकारी हस्तक्षेप की हर कोशिश का मैं विरोध करता हूं।चलते चलतेhttps://www.blogger.com/profile/00891524525052861677noreply@blogger.com