tag:blogger.com,1999:blog-5804599932580301957.post5355196263165138435..comments2023-09-26T19:57:38.188+05:30Comments on चीरफाड़: 'मैं' नहीं, 'लोक' की बात करें राहुल!एस.एन. विनोद !http://www.blogger.com/profile/15928209423094784655noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5804599932580301957.post-90011631473327195842009-04-02T12:23:00.000+05:302009-04-02T12:23:00.000+05:30neharoo gaandi parivaar ne saath saalon me kya diy...neharoo gaandi parivaar ne saath saalon me kya diya??? bhookh berojgaari garibi jansankhya me vriddhi bhrastachar hinduon ko doyam darje ka naagrik banaya.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5804599932580301957.post-56256016694067066922009-04-02T09:27:00.000+05:302009-04-02T09:27:00.000+05:30राहुल अगर मैं का प्रयोग करते हैं तो कांग्रेस इस बा...राहुल अगर मैं का प्रयोग करते हैं तो कांग्रेस इस बात के लिए उन्हें मजबूर करती है। सारी ही कांग्रेस जानती है कि इस परिवार के बिना उनका अस्तित्व नहीं है तभी तो जिन नेताओं को भाषण देना तक नहीं आता वे आज सबके दुलारे बने हुए हैं। शायद पत्रकारों ने भी उन्हें प्रोजेक्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज तक किसी ने भी उनसे प्रेस वार्ता नहीं की और न ही उनके रोड-शो और देखकर पढ़ने के प्रति प्रश्न किया। मुझे तो लगता है कि नौकरशाह और पत्रकार दोनों ही ऐसे नेताओं से प्रसंन्न रहते हैं क्योंकि तब असल में सत्ता में वे ही रहते हैं, जो अपने विचार भी प्रगट नहीं कर सकता भला वो देश को नेतृत्व कैसे दे सकता है? एक तरफ ओबामा है जिन्होंने अपने उदबोधन से ही सबको प्रभावित किया और अमेरिका में एक गुलाम को राष्ट्रपति बना दिया। काश यह देश भी बुद्धि की कीमत समझ पाता। तभी तो हमारी सेना युद्ध में जीत जाती है और टेबल पर हमारे नेता हार जाते हैं। पत्रकार भी चुनाव आते ही वही पुराने मुद्दे निकाल लेते हैं जिनसे भूलकर भी देश में प्रबुद्ध नेतृत्व जन्म न ले लें। बस नौकरशाहों और पत्रकारों की दुकानदारी चलनी चाहिए। जय हो।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.com