tag:blogger.com,1999:blog-5804599932580301957.post8844292757260640968..comments2023-09-26T19:57:38.188+05:30Comments on चीरफाड़: पुस्तक संस्कृति : कौन सी, कैसी संस्कृति?एस.एन. विनोद !http://www.blogger.com/profile/15928209423094784655noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5804599932580301957.post-13500467670336331422010-09-25T08:55:51.026+05:302010-09-25T08:55:51.026+05:30अब वही पुस्तक 'गांधी : नेकेड एम्बीशन' नागप...अब वही पुस्तक 'गांधी : नेकेड एम्बीशन' नागपुर सहित भारत के सभी शहरों में बिक रही है। पुस्तक के कुछ अंश को प्रकाशित करने वाले अखबार की प्रतियां जलाने वाले कथित गांधीवादी अब कहां हैं? पुस्तक विक्रेताओं के यहां उपलब्ध इस पुस्तक की होली क्यों नहीं जलाई जा रही? अब तो पूरी की पूरी पुस्तक देशवासियों को यह बतलाने के लिए उपलब्ध है कि महात्मा गांधी चरित्रहीन थे। मुझे वैसे मुखौटाधारी गांधीवादियों की चिंता नहीं। वे तब अखबार के खिलाफ षडय़ंत्र की राजनीति कर रहे थे और आज स्वार्थ की नपुंसक राजनीति ने उन्हें पुस्तक के खिलाफ कार्रवाई से रोक रखा है। मेरी चिंता पुस्तक संस्कृति की पवित्रता को कायम रखने को लेकर है। क्यों न पुस्तक विक्रेता स्वयं ऐसी आपत्तिजनक पुस्तक को बेचने से इन्कार कर दें? जब किसी संस्कृति को अश्लीलता की चुनौती मिलती है। तब वह संस्कृति पवित्र नहीं रह पाती। मुखौटाधारी गांधीवादी तो स्वार्थवश पहल नहीं करेंगे, पहल करें पुस्तक विके्रता या फिर भारत में उसके वितरक। लेखक या प्रकाशक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कवच नहीं दिया जा सकता। पुस्तक में जानबूझकर भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का चरित्र हनन किया गया है।<br /><br />Auchityapoorn prashn, sabhi ko awashy ki is vindu pr sochna chaahiye. Mai aapke saath khada hun. Yahan to sab naam aur daam ke bhookhe hain. raashtr aur raashtriyata ki chinta kise hai? Sanskriti aur Sanskaar jaise shabd ab pustakon me milenge. haan kuchh pariwaar aise maine delhe hain jahan iska niewahan ho raha hai. mai aise pariwaar ko pranaam karta hun.Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5804599932580301957.post-46507302011074743422010-09-25T00:06:46.304+05:302010-09-25T00:06:46.304+05:30यहां तो प्रचार के लिये सबकुछ होता है.. अभी मुहम्मद...यहां तो प्रचार के लिये सबकुछ होता है.. अभी मुहम्मद साहब के ऊपर कुछ भी लिखा होता, प्रतिबन्ध कब का लग गया होता और पूरे देश में आग लग गयी होती.. अब कांग्रेस के गांधियों में महात्मा गांधी शामिल नहीं लगते हैं...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.com