पीड़ादायक यह उच्छ्वास, एक अकेले मेरी नहीं। आपके चाहनेवाले करोड़ों भारतीय की पीड़ा है यह। चूंकि मैं अपनी इस पूर्वधारणा पर कायम हूं कि आप की नीयत साफ है, आप पूरी ईमानदारी के साथ भारत, भारतीय और भारतीयता की पवित्रता को कायम रखना चाहते हैं, सत्ता और संगठन के माध्यम से भारत को विश्वगुरु का सम्मान दिलवाने को दृढ़संकल्प हैं। ऐसे में जब आपके कतिपय 'निर्णय' पर शंकालु ऊंगलियां उठने लगे, तब जवाब तो आपको ही देना होगा। मैं बात कर रहा हूं ताजातरीन कीर्ति आजाद के निलंबन प्रकरण की।
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कीर्ति आजाद पर पार्टी विरोधी आचरण का आरोप लगाते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया। जाहिर है कि यह निर्णय आपकी सहमति से ही लिया गया होगा। अब देश, विशेषकर आपके प्रशंसक, यह जानना चाहते हैं कि सांसद कीर्ति आजाद का अपराध क्या है? कीर्ति एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं, भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। क्रिकेट की एक संस्था डीडीसीए में कथित रूप से व्याप्त भ्रष्टाचार, अनियमितता की जाँच की मांग कीर्ति वर्षों से करते आ रहे हैं। भाजपा के सत्ता में आने के बहुत पहले से। देश के वित्तमंत्री अरुण जेटली वर्षों इस संस्था के मुखिया रह चुके हैं। आरोप उनके कार्यकाल की अवधि का भी है, उनके बाद का भी।कीर्ति ने दस्तावेजी सबूत पेश कर सीबीआई द्वारा समयबद्ध जाँच की मांग की। चूंकि सीबीआई अत्यंत ही धीमी गति से मामले की जाँच कर रही है, कीर्ति ने इसे गति प्रदान करने की बात कही। जब आरोप डीडीसीए को लेकर है तब यह पार्टी का मामला कैसे बन गया? भाजपा तो डीडीसीए का संचालन नहीं करती? कीर्ति ने कभी भी अरुण जेटली पर वित्तमंत्री के रूप में भ्रष्टाचार या अनियमितता के आरोप नहीं लगाये। यह कभी नहीं कहा कि जेटली ने अपने मंत्री पद का दुरुपयोग किया या मंत्री के रुप में कोई घपलेबाजी की। उन्होंने एक खिलाड़ी के रुप में एक खेल संस्थान में कथितरुप से हुए घपलों की जाँच की ही तो बात की ! फिर यह पार्टी विरोधी आचरण कैसे हो गया? घोर अलोकतांत्रिक तरीके से, बगैर कारण बताओ नोटिस जारी किये, सीधे- सीधे पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित किए जाने की कारवाई क्या अपने आप में पार्टी विरोधी, अलोकतांत्रिक नहीं है? क्या इससे यह संदेश नहीं गया कि सरकार और पार्टी किसी व्यक्ति विशेष को बचाना चाहती है? संदेश यह भी गया कि पार्टी के अंदर विरोध के स्वर को स्वीकार नहीं किया जा रहा। भ्रष्टाचार पर 'शून्य सहिष्णुता' संबंधी आपके उद्घोष के खिलाफ भी है यह। क्या यह उचित है? मैं नहीं समझता कि प्रधानमंत्री इसे स्वीकार करेंगे। निश्चय ही उन्हें गलत जानकारी दे गुमराह किया गया है। इस पूरी कारवाई पर देश की त्वरित प्रतिक्रिया रही कि मामला कहीं न कहीं - 'चोर की दाढ़ी में तिनका' सरीखा है। इस मामले में निशाने पर अरुण जेटली ही हैं।
प्रधानमंत्रीजी, ईमानदारी से इतिहास के पन्नों को पलट लें। आपको अरुण जेटली की असलियत की जानकारी हो जायेगी। कीर्ति आजाद को 'पार्टी विरोधी' निरूपित करनेवाले अरुण जेटली स्वयं पार्टीविरोधी, अनुशासनहीन कृत्यों में लिप्त रहे हैं।
पूरा देश जानता है, पार्टी भी जानती है, आप भी जानते होंगे कि दिसंबर 2009 में जब महाराष्ट्र के कद्दावर नेता नितिन गडकरी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था तब अरुण जेटली व उनके गुट ने गडकरी का विरोध किया था। प्रेस के माध्यम से गडकरी विरोधी वातावरण तैयार करने की कोशिश भी जेटली ने ही की थी। जानकार पुष्टि करेंगे कि गडकरी के खिलाफ अनेक आपत्तिजनक खबरें जेटली ने प्रसारित करवाई थीं। गडकरी के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल कर जेटली मीडिया में गडकरी की छवि धूमिल करने की कोशिश करते रहे थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार से पस्त भाजपा के मनोबल को गडकरी ने तब शिखर पर पहुंचाया, जब 2010 के बिहार चुनाव में 102 सीटों पर लड़ 91 सीटों पर पार्टी ने गडकरी के नेतृत्व में जीत हासिल की। तब भाजपा और संघ के अंदर आम राय बनी थी कि 2015 का लोकसभा चुनाव भी गडकरी की अध्यक्षता में ही पार्टी लड़े।
2013 में गडकरी को दोबारा अध्यक्ष बनाने के लिए पार्टी ने मुंबई अधिवेशन में अपने संविधान में संशोधन भी कर लिया था। लेकिन, सत्ता के गलियारे में तब आम चर्चा थी कि विघ्नसंतोषियों का नेतृत्व कर रहे अरुण जेटली ने कांग्रेस के तत्कालीन वित्तमंत्री पी.चिदंबरम के साथ सांठ-गांठ कर गडकरी के खिलाफ षडय़ंत्र रचा और उन्हें दोबारा अध्यक्षपद से वंचित करने में सफल रहे। निश्चय ही जेटली की वह कारवाई पार्टी विरोधी थी। अपनी पार्टी के अध्यक्ष के खिलाफ साजिश रचने वाला, मीडिया को गलत जानकारी दे अध्यक्ष की छवि धूमिल करने वाला ही तो पार्टी विरोधी हुआ। कभी पार्टी अध्यक्ष के विरूद्ध षड्यंत्र रचनेवाला व्यक्ति आज जब यह कह रहा है कि 'कृतघ्नता एक राजनीतिक पाप है 'और अपने ही पार्टी के एक सांसद को पार्टी विरोधी बताते हुए उसकी बलि ले रहा हो तब स्वयं भाजपा समर्थक अचंभित हैं, दु:खी हैं। विपक्ष जेटली को 'नटवरलाल' निरुपित कर रहा है तो शायद सही ही।
अगर किसी के खिलाफ कारवाई करनी ही है तो अरुण जेटली के खिलाफ हो। प्रधानमंत्रीजी, आप अपने सूत्रों से पता लगा लें यह अरुण जेटली ही हैं, जिनके कारनामों के कारण आपकी अपनी स्वच्छ छवि धूमिल हो रही है। क्या आप ऐसा चाहेंगे? निजात पाएं जेटली से, निजात पाएं जेटली सरीखे अन्य विघ्नसंतोषियों से। ये तत्व न तो आपके हितचिंतक हैं और न ही चाल-चरित्र -चेहरा के लिए सुख्यात भारतीय जनता पार्टी के। मैं भी उस विशाल भारतीय वर्ग के साथ हूं जो आपके नेतृत्व में भारत के विश्वगुरु बनने के अभियान को सफल होते देखना चाहता है। दु:ख होता है जब मार्ग में जेटली जैसे 'अवरोधक' खड़े दिखते हैं। छुटकारा पाएं इनसे, जल्द से जल्द छुटकारा पाएं-देश, पार्टी और स्वयं अपने हित में।
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कीर्ति आजाद पर पार्टी विरोधी आचरण का आरोप लगाते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया। जाहिर है कि यह निर्णय आपकी सहमति से ही लिया गया होगा। अब देश, विशेषकर आपके प्रशंसक, यह जानना चाहते हैं कि सांसद कीर्ति आजाद का अपराध क्या है? कीर्ति एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं, भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। क्रिकेट की एक संस्था डीडीसीए में कथित रूप से व्याप्त भ्रष्टाचार, अनियमितता की जाँच की मांग कीर्ति वर्षों से करते आ रहे हैं। भाजपा के सत्ता में आने के बहुत पहले से। देश के वित्तमंत्री अरुण जेटली वर्षों इस संस्था के मुखिया रह चुके हैं। आरोप उनके कार्यकाल की अवधि का भी है, उनके बाद का भी।कीर्ति ने दस्तावेजी सबूत पेश कर सीबीआई द्वारा समयबद्ध जाँच की मांग की। चूंकि सीबीआई अत्यंत ही धीमी गति से मामले की जाँच कर रही है, कीर्ति ने इसे गति प्रदान करने की बात कही। जब आरोप डीडीसीए को लेकर है तब यह पार्टी का मामला कैसे बन गया? भाजपा तो डीडीसीए का संचालन नहीं करती? कीर्ति ने कभी भी अरुण जेटली पर वित्तमंत्री के रूप में भ्रष्टाचार या अनियमितता के आरोप नहीं लगाये। यह कभी नहीं कहा कि जेटली ने अपने मंत्री पद का दुरुपयोग किया या मंत्री के रुप में कोई घपलेबाजी की। उन्होंने एक खिलाड़ी के रुप में एक खेल संस्थान में कथितरुप से हुए घपलों की जाँच की ही तो बात की ! फिर यह पार्टी विरोधी आचरण कैसे हो गया? घोर अलोकतांत्रिक तरीके से, बगैर कारण बताओ नोटिस जारी किये, सीधे- सीधे पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित किए जाने की कारवाई क्या अपने आप में पार्टी विरोधी, अलोकतांत्रिक नहीं है? क्या इससे यह संदेश नहीं गया कि सरकार और पार्टी किसी व्यक्ति विशेष को बचाना चाहती है? संदेश यह भी गया कि पार्टी के अंदर विरोध के स्वर को स्वीकार नहीं किया जा रहा। भ्रष्टाचार पर 'शून्य सहिष्णुता' संबंधी आपके उद्घोष के खिलाफ भी है यह। क्या यह उचित है? मैं नहीं समझता कि प्रधानमंत्री इसे स्वीकार करेंगे। निश्चय ही उन्हें गलत जानकारी दे गुमराह किया गया है। इस पूरी कारवाई पर देश की त्वरित प्रतिक्रिया रही कि मामला कहीं न कहीं - 'चोर की दाढ़ी में तिनका' सरीखा है। इस मामले में निशाने पर अरुण जेटली ही हैं।
प्रधानमंत्रीजी, ईमानदारी से इतिहास के पन्नों को पलट लें। आपको अरुण जेटली की असलियत की जानकारी हो जायेगी। कीर्ति आजाद को 'पार्टी विरोधी' निरूपित करनेवाले अरुण जेटली स्वयं पार्टीविरोधी, अनुशासनहीन कृत्यों में लिप्त रहे हैं।
पूरा देश जानता है, पार्टी भी जानती है, आप भी जानते होंगे कि दिसंबर 2009 में जब महाराष्ट्र के कद्दावर नेता नितिन गडकरी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था तब अरुण जेटली व उनके गुट ने गडकरी का विरोध किया था। प्रेस के माध्यम से गडकरी विरोधी वातावरण तैयार करने की कोशिश भी जेटली ने ही की थी। जानकार पुष्टि करेंगे कि गडकरी के खिलाफ अनेक आपत्तिजनक खबरें जेटली ने प्रसारित करवाई थीं। गडकरी के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल कर जेटली मीडिया में गडकरी की छवि धूमिल करने की कोशिश करते रहे थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार से पस्त भाजपा के मनोबल को गडकरी ने तब शिखर पर पहुंचाया, जब 2010 के बिहार चुनाव में 102 सीटों पर लड़ 91 सीटों पर पार्टी ने गडकरी के नेतृत्व में जीत हासिल की। तब भाजपा और संघ के अंदर आम राय बनी थी कि 2015 का लोकसभा चुनाव भी गडकरी की अध्यक्षता में ही पार्टी लड़े।
2013 में गडकरी को दोबारा अध्यक्ष बनाने के लिए पार्टी ने मुंबई अधिवेशन में अपने संविधान में संशोधन भी कर लिया था। लेकिन, सत्ता के गलियारे में तब आम चर्चा थी कि विघ्नसंतोषियों का नेतृत्व कर रहे अरुण जेटली ने कांग्रेस के तत्कालीन वित्तमंत्री पी.चिदंबरम के साथ सांठ-गांठ कर गडकरी के खिलाफ षडय़ंत्र रचा और उन्हें दोबारा अध्यक्षपद से वंचित करने में सफल रहे। निश्चय ही जेटली की वह कारवाई पार्टी विरोधी थी। अपनी पार्टी के अध्यक्ष के खिलाफ साजिश रचने वाला, मीडिया को गलत जानकारी दे अध्यक्ष की छवि धूमिल करने वाला ही तो पार्टी विरोधी हुआ। कभी पार्टी अध्यक्ष के विरूद्ध षड्यंत्र रचनेवाला व्यक्ति आज जब यह कह रहा है कि 'कृतघ्नता एक राजनीतिक पाप है 'और अपने ही पार्टी के एक सांसद को पार्टी विरोधी बताते हुए उसकी बलि ले रहा हो तब स्वयं भाजपा समर्थक अचंभित हैं, दु:खी हैं। विपक्ष जेटली को 'नटवरलाल' निरुपित कर रहा है तो शायद सही ही।
अगर किसी के खिलाफ कारवाई करनी ही है तो अरुण जेटली के खिलाफ हो। प्रधानमंत्रीजी, आप अपने सूत्रों से पता लगा लें यह अरुण जेटली ही हैं, जिनके कारनामों के कारण आपकी अपनी स्वच्छ छवि धूमिल हो रही है। क्या आप ऐसा चाहेंगे? निजात पाएं जेटली से, निजात पाएं जेटली सरीखे अन्य विघ्नसंतोषियों से। ये तत्व न तो आपके हितचिंतक हैं और न ही चाल-चरित्र -चेहरा के लिए सुख्यात भारतीय जनता पार्टी के। मैं भी उस विशाल भारतीय वर्ग के साथ हूं जो आपके नेतृत्व में भारत के विश्वगुरु बनने के अभियान को सफल होते देखना चाहता है। दु:ख होता है जब मार्ग में जेटली जैसे 'अवरोधक' खड़े दिखते हैं। छुटकारा पाएं इनसे, जल्द से जल्द छुटकारा पाएं-देश, पार्टी और स्वयं अपने हित में।