centeral observer

centeral observer

To read

To read
click here

Wednesday, December 2, 2015

"कु-संस्कारियों" के निशाने पर "संस्कारी" निहलानी!



"बॉलीवुड" को"हॉलीवुड"बनाने को व्यग्र कतिपय फ़िल्म निर्माता-निर्देशक-अभिनेता क्रोधित हैं कि सेंसर बोर्ड के मुखिया पहलाज निहलानी उनके मार्ग में रोड़े अटका रहे हैं!निहलानी द्वि-अर्थी आपत्तिजनक संवाद,अनावश्यक लंबे चुम्बन और अश्लील सेक्सी दृश्यों को परदे पर दिखाये जाने के खिलाफ हैं।लेकिन वैसे निर्माता-निर्देशक जिन्हें सभ्य, सुसंस्कृत भारतीय समाज की जगह भ्रष्ट, अश्लील ुला पश्चिमी समाज सुहाता है, निहलानी के विरोध में खड़े हो गये हैं।दुःखद है कि अपरोक्ष में इस भ्रष्ट गुट को साथ मिल रहा है सूचना-प्रसारण मंत्रालय के युवा राज्यमंत्री राठौर का।लगता है ,गलत जानकारी दे पूर्वाग्रही तत्वों ने राठौर को भ्रमित कर दिया है।
हाँ, सच यही है।अन्यथा, जो सरकार देश की गौरवशाली प्राचीन सभ्यता, संस्कृति और भाषा के पक्ष में कटिबद्ध हो,उसका कोई मंत्री विपरीत आचरण कैसे कर सकता है?श्री राठौर की टिप्पणी कि 'सेंसर बोर्ड प्रमाणपत्र जारी करे, सेंसर नहीं',भ्रम पैदा करता है।फिर, सेंसर बोर्डका क्याऔचित्य?निश्चय ही गलत जानकारी दे कर राठौर कोभरमाया जारहा है।ऐसे कुटिल तत्वों को स्वयं सेदूर रखें राठौर !
निहलानी पर ताज़ा आक्रमण फ़िल्म"जेम्स बॉन्ड"के एक लंबे चुम्बन दृश्य केकांट-छांट कोले कर शुरु हुआ है।क्या गलत किया निहलानी ने?पश्चिमी सभ्यता-संस्कृति केपोषकों कीछोड़ दें, क्या भारतीय संस्कृति इसकी इजाजत देती है?अंदरुनी सूत्र तो ये भी बता रहे हैं कि लंबे चुम्बन दृश्य केआगे "कुछ और भी" थे!निहलानी ने तो सेंसर कीअवधारणा केअनुरूप संज्ञान लिया, कैंची चला दी।क्या गलत किया?
बंद कमरे में,शालीनता के आवरण में जो कुछ होता है सड़कों पर उनका सर्वजनिक प्रदर्शन कैसे किया जा सकता है? सभ्य समाज में इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।
फिल्मों के माध्यम से ऐसा ना हो,इसके लिए ही सेंसर बोर्ड का गठन किया गया।ऐसे आपत्तिजनक दृश्यों का क़तर-ब्योंत् सेंसर बोर्ड का कर्तव्य है, दायित्व है।फिर निहलानी गलत कैसे?
सेंसर बोर्डके मुखिया के रुप में पहलाज निहलानी ना तो कोई मानधन लेते हैं, ना ही कोई अन्य सुविधा।बताते हैं निहलानी सरकारी गाड़ी तक का इस्तेमाल नहीं करते।
तो, विरोध सिर्फ इसलिए कि वे निष्ठापूर्वक ईमानदारी से कर्तव्य निष्पादन कर रहे हैं?ये अनुचित है।
अगर, अनियमितता या भ्रष्टाचार के आरोपी हों, तो निश्चय खिलाफत हो,कार्रवाई हो।
भारतीय संस्कृति के पक्ष में कर्तव्य निष्पादन करने वाले संस्कारी सेंसर बोर्ड प्रमुख के खिलाफ चिल्ल-पों को विराम दें विघ्न संतोषी!

No comments: