centeral observer

centeral observer

To read

To read
click here

Tuesday, June 14, 2016

... राष्ट्रद्रोह है 'मुसलमान मुक्त भारत' का आह्वान!

साध्वी?
नहीं ! मैं साध्वी संबोधन नहीं कर सकता। किसी बदजुबान के लिए यह विशेषण पाप होगा। सिर्फप्राची। संत या साध्वी किसी धर्म, संप्रदाय, जाति, वर्ग या समाज के विरुद्ध और इनसे आगे बढ़ते हुए किसी संप्रदाय विशेष को   'खत्म' किए जाने की वकालत कैसे कर सकते हैं? हिंदू संस्कृति और धर्म इस बात की अनुमति नहीं देता है, बल्कि  चर्चा ही नहीं करता। फिर ऐसे किसी बदजुबान को साध्वी कहलाने का हक कैसे दे दिया जाए?
यह पहली बार नहीं है जब प्राची ने अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध विष वमन किया हो। अनेक मौकों पर वह अल्पसंख्यकों को राष्ट्रद्रोही निरूपित करते हुए उनके सफाए का आह्वान कर चुकी हैं। ऐसे -ऐसे कड़वे बोल उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बोले, जो   देश के वर्तमान कानून के अनुसार ही उन्हें राष्ट्रद्रोही घोषित कर डालेंगे। समाज में सांप्रदायिक आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलानेवाला राष्ट्रद्रोही ही तो हो सकता है। ये वही प्राची है, जिन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अंग्रेजों का एजेंट करार दिया था। यह कहने से नहीं चुकी थी कि देश को आजादी महात्मा गांधी के तकली कातने से नहीं मिली थी। इसी प्राची ने आरोप लगाया था कि अंग्रेजों के जमाने में पूरे देश में जहां सिर्फ 300 कत्लगाह थे अब वे बढ़कर 30,000 हो गए हैं। इस आरोप के क्रम में प्राची यह भूल गई थी कि देश का सबसे बड़ा कत्लगाह गुजरात में है। और यह भी कि न केवल इस कत्लगाह का मालिक बल्कि देश के अधिकांश कत्लगाहों के मालिक कोई और नहीं हिंदू ही हैं।  जब दादरी कांड में अखलाक की हत्या हुई तो तत्काल बोल पड़ी थीं कि गौ-मांस खानेवालों का यही हश्र होना चाहिए। यहां भी प्राची भूल गईं कि स्वयं केंद्र सरकार में एक ऐसे मंत्री मौजूद हैं जिन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि ''हां, मैं 'बीफ' खाता हूं, कौन रोकेगा मुझे?'' संभवत: प्राची को अभी भी इनकी हत्या की प्रतीक्षा हो। जम्मू में अमरनाथ और वैष्णोदेवी जानेवाले यात्रियों पर हमले की संभावना के बीच प्राची ने चेतावनी दी थी कि अगर ऐसा हुआ तो हज यात्रियों को इसका खामियाजा भुगतना होगा। और तो और, पठानकोट हमले के बाद उनका विवादित बयान आया कि सेना में बैठे मुस्लिम अफसरों की जांच हो कि कहीं उनके तार पाकिस्तान से तो जुड़े नहीं हैं। मुसलमानों की बढ़ती जनसंख्या के जवाब में प्राची ने हिंदू महिलाओं से आह्वान किया था कि वे भी पांच-पांच बच्चे पैदा करें।
सभी बोल कानून विरोधी, संविधान विरोधी और राष्ट्र विरोधी। फिर भी साध्वी के मुलम्मे के साथ समाज के नेतृत्व करने का दावा करनेवाली प्राची कानून को ठेंगा दिखाते हुए, देश के शासकों को ठेंगा दिखाते हुए बेखौफ छुट्टा घूम रही हैं, समाज और देश को सांप्रदायिक आग में झोंकने वाले बयान देती जा रही हैं और देती ही जा रही हैं। और आश्चर्य कि कोई रोकनेवाला नहीं, कोई कानूनी कार्रवाई नहीं। 'राजनीति' करते हुए उनके बयानों को निजी बताते हुए लोग पल्ला तो झाड़ लेते हैं किंतु  अपेक्षित कार्रवाई नहीं की जाती। फिर प्राची 'उत्साहित' हो तो क्यों नहीं?
इस बार तो उन्होंने हद ही कर दी। प्राची ने रुडकी में कहा कि '' हमने 'कांग्रेस मुक्त' भारत का स्वप्न  पूरा कर लिया है। अब समय है मुसलमान मुक्त भारत बनाने का। ''  क्या यह देशद्रोह नहीं? कथित रूप से पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगानेवाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर राजद्रोह का मुकदमा दायर कर जेल भेज दिया गया था। गुजरात में आरक्षण के पक्ष में पाटीदार आंदोलन का नेतृत्व करनेवाले युवा हार्दिक पटेल को भी राजद्रोही निरूपित करते हुए जेल भेज दिया गया। फिर देश में पूरे संवैधानिक अधिकार के साथ रहनेवाले करोड़ों मुलमानों के खिलाफ, उनसे भारत को मुक्त करने का आह्वान करनेवाली प्राची पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा क्यों नहीं? क्या धर्म-संप्रदाय के आधार पर समाज में वैमनस्य फैलाना कानूनन अपराध नहीं है? क्या एक संप्रदाय विशेष के लोगों से देश को 'मुक्त' किए जाने का आह्वान अलगाववाद और आतंकवाद को प्रोत्साहित नहीं करता? क्या यह आह्वान देश के एक और विभाजन का आगाज नहीं देता? बिलकुल शत प्रतिशत ! इन आरोपों की अपराधी प्राची हैं। आश्चर्य है कि देश के कानून की नजरों में ये क्यों नहीं आ पा रहीं? यहां उल्लेखनीय यह कि प्राची कांग्रेस मुक्त भारत का लक्ष्य प्राप्त कर लेने की बात कह रही है। और चूंकि 'कांग्रेस मुक्त' भारत का नारा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया था, क्या देश यह मान ले कि प्राची प्रधानमंत्री के ही किसी लक्ष्य को आगे बढ़ा रही हैं? सामाजिक और राष्ट्रीय सद्भाव के पक्ष में हर धर्म, संप्रदाय के लोगों को साथ ले विकास मार्ग पर कदमताल करने का आह्वान, बल्कि संकल्प लेने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसा चाहेंगे इस पर देश विश्वास करने को तैयार नहीं। इस पाश्र्व में प्राची का अपराध और गुरूतर हो जाता है, क्योंकि उनके शब्दों से स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि के दागदार होने का खतरा है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्राची के वक्तव्य से दूरी बनाते हुए यह अवश्य कहा है कि पार्टी प्राची के बयान से इत्तेफाक नहीं रखती है, यह सवाल पूछा जाएगा कि तब प्राची के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? वैश्वीकरण के वर्तमान युग में जब भारत और विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के विश्वगुरु बनने का सपना देख रहे हैं, प्राची का बड़बोलापन भारत को विश्व की नजरों में संदिग्ध बनाता रहेगा। सत्तापक्ष, विशेषकर प्रधानमंत्री मोदी को प्राची के बड़बोलेपन का उचित संज्ञान लेना ही होगा। अन्यथा यह खतरा मौजूद रहेगा कि लोगबाग  कहीं प्राची के शब्दों को 'सत्ता-प्रेरित' न मान लें। अगर ऐसी 'दुर्घटना' हुई तो तय मानिए कि विकास संबंधी भारत के सभी कार्यक्रम -योजनाएं अपेक्षित परिणाम कभी भी नहीं दे पाएंगी। क्या प्रधानमंत्री मोदी ऐसा चाहेंगे?
दो वर्ष पूर्व केंद्र में सत्ता परिवर्तन के पश्चात 'राष्ट्रीय परिवर्तन' की जो बयार बह रही है उसके सकारात्मक परिणाम तभी मिलेंगे जब 'सबका साथ, सबका विकास' की अवधारणा को ईमानदारी के साथ क्रियान्वित किया जाए।  इसके लिए जरूरी है कि प्राची व उनके जैसी साध्वियों व संतों के राष्ट्रद्रोही क्रिया-कलापों पर अंकुश लगाया जाए। कानून सबके लिए समान है। इसके पालन के मार्ग में 'भगवा' को अपवाद न बनाया जाए। कानून और न्याय जब तक पक्षपात व पूर्वाग्रह से मुक्त रहेंगे लोकतंत्र सुरक्षित रहेगा। विकासपथ पर भारत को अभी लंबा मार्ग तय करना है। मार्ग में अवरोधक स्वत: प्रकट होंगे, कुछ नैसर्गिक , कुछ राजनीतिक। ऐसे में अगर 'परिवार' ही अवरोधक बन सामने खड़े होते रहेंगे तब विकास तो दूर अराजकता का ऐसा झंझावात पैदा होगा जो व्यवस्था के साथ-साथ प्राचीन मान्यताओं को भी तार-तार कर डालेगा। मैं नहीं समझता कि साफ नीयत प्रधानमंत्री व उनके सहयोगी कुछ ऐसी आपदा को आमंत्रित करना चाहेंगे।

No comments: