महंगाई से त्राहिमाम करती आम जनता को राहत की जगह और भी महंगाई के बोझ तले ले जाने वाला यह बजट अंतत: आम जनता के लिए (खास नहीं) त्रासदी दायक सिद्ध होगा। सत्ता पक्ष चाहे जो दावा कर ले, यह बजट देशहित में कदापि नहीं। हां, देश का एक विशिष्ट वर्ग जो पहले से ही खुशहाल है अपनी खुशी के पिटारे में और खुशियां अवश्य डाल लेगा। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इसकी व्यवस्था अवश्य कर दी है।
निष्पक्ष विश्लेषक चकित हैं कि आखिर केंद्र सरकार संविधान के घोष वाक्य में शामिल समाजवाद की तिलांजलि पर क्यों उतारु है? भारत निर्माताओं ने देश के विकास के लिए समाजवाद का पद चुना था, न कि पूंजीवाद का !
निष्पक्ष विश्लेषक चकित हैं कि आखिर केंद्र सरकार संविधान के घोष वाक्य में शामिल समाजवाद की तिलांजलि पर क्यों उतारु है? भारत निर्माताओं ने देश के विकास के लिए समाजवाद का पद चुना था, न कि पूंजीवाद का !
No comments:
Post a Comment