आंध्र प्रदेश में भड़की हिंसा के मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि राजशेखर रेड्डी की मौत से संबंधित संशयपूर्ण समाचार प्रसारित करने वाला चैनल गैर जिम्मेदार आचरण का दोषी है। लेकिन बहस इस पर भी होनी चाहिए कि चैनल ने रूसी वेबसाइट से प्राप्त जानकारी को सार्वजनिक कर उसने जनता को सूचना देने संबंधी अपने हक व दायित्व का निर्वाह कर कौन सा अपराध किया है? चूंकि ऐसे मामले पहले भी प्रकाश में आते रहे हैं, भविष्य में और भी आ सकते हैं। इस पर बहस व फैसला जरूरी है। रूसी वेबसाइट की खबर के अनुसार आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी की मौत के पीछे प्रसिद्ध औद्योगिक घराना रिलायंस समूह के मालिक की साजिश थी। दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर, जिस पर रेड्डी यात्रा कर रहे थे, रिलायंस समूह का था। कृष्णा-गोदावरी बेसिन गैस विवाद के कारण रेड्डी से अंबानी क्षुब्ध थे। षडयंत्र रचा गया।
एक कैंसर पीडि़त पायलट को प्रलोभन देकर षडयंत्र में शामिल किया गया। हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ और रेड्डी मारे गए। इसी मुकाम पर मैं मान लेता हूँ कि वह खबर बेबुनियाद, भ्रामक और कुटिल थी। रिलायंस समूह के मालिक मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी ने खबर को ही षडयंत्र निरूपित किया है। आंध्र शासन की ओर से भी खबर को आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण बताया गया है। इसे भ्रामक बताने वाले तर्क दे रहे हैं कि आलोच्य रूसी वेबसाइट पर यह खबर विगत सितंबर माह में प्रसारित की गई थी। फिर इस पुरानी खबर को आधार बनाकर चैनल ने खबर प्रसारित क्यों किया? यह प्रश्र गलत है। विलंब से ही सही अगर कोई महत्वपूर्ण जानकारी किसी खबरची के हाथ लगती है तब वह इसका उपयोग अवश्य करेगा। ऐसा नहीं करना कर्तव्य से चूकना माना जाएगा। भ्रामक ही सही रूसी वेबसाइट पर दी गई जानकारियां सनसनीखेज थी। भारत के एक राज्य के मुख्यमंत्री की मौत से संबंधित किसी जानकारी को नजरअंदाज कैसे किया जाता? पूछा तो यह जाना चाहिए कि हमारी गुप्तचर एजेंसियां क्या कर रहीं थीं? रूसी वेबसाइट पर सार्वजनिक की गई उक्त जानकारी का संज्ञान तब क्यों नहीं लिया गया? कथित भ्रामक-दुर्भावनापूर्ण खबर की तब चीर-फाड़ क्यों नहीं की गई? 'झूठ' तब सामने क्यों नहीं लाया गया? आज बगैर जांच किए खबर को निराधार बताने वालों के पास अपने मंतव्य के पक्ष में कौन से प्रमाण हैं? खबर झूठी है इस बात को प्रमाणित किया जाना चाहिए। खबर की संवेदनशीलता के कारण आंध्र प्रदेश में हिंसा फैली। यह दुर्भाग्यपूर्ण है किन्तु खबर के झूठ-सच का फैसला तो जांच के बाद ही संभव है। फिर तेलुगू चैनल को एकतरफा दोषी कैसे करार दिया जाए? हां, भड़काऊ खबर प्रसारित करने का अपराधी वह अवश्य है। लेकिन वह भी तब जब खबर झूठी सिद्ध हो जाए।
न्याय और नैतिकता का तकाजा है कि देर से ही सही रूसी वेबसाइट द्वारा जारी आरोप की निष्पक्ष जांच की जाए। परिणाम अगर खबर को झूठा साबित करते हैं, तब राजनयिक स्तर पर उक्त चैनल के खिलाफ कार्रवाई हेतु रूसी सरकार से संपर्क किया जाए। देश को यह मालूम होना चाहिए कि आखिर उक्त सनसनीखेज खबर को प्रसारित करने के पीछे रूसी वेबसाइट का उद्देश्य क्या था? इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। मामला सिर्फ एक समाचार चैनल और औद्योगिक घराने का नहीं है। मामला भारत के आंतरिक मामले में विदेशी हस्तक्षेप का भी है।
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