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Saturday, July 10, 2010

खामोश! सच बोलना मना है!!

अशिष्ट, अश्लील, असंस्कृत जैसे आपत्तिजनक शब्दों की मर्यादा चिन्हित कर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी से माफी मांगने की बात करनेवाले कांग्रेसी नेता पहले अपने गिरेबान में झांककर देखें! यहां मैं न तो किसी का पक्ष ले रहा हूं और न ही आलोचना के लिए आलोचना कर रहा हूं! एक निहायत मौजूं विषय पर बहस की शुरुआत चाहता हूं! संसदीय लोकतांत्रिक ढांचे, राजनीतिक चरित्र, सामाजिक संरचना और वृद्ध नैतिकता के लिए ऐसी बहस जरूरी है। सवाल यह कि उपर्युक्त शब्दों के शाब्दिक अर्थ का दामन थामा जाए या फिर प्रयोग के दौरान इनमें निहित भावना का ध्यान रखा जाए। प्रत्येक काल में समाज का समझदार वर्ग 'भावना' को ही अहमियत देता आया है! इस भावना से ही व्यक्ति की नीयत की जानकारी मिलती है। अब क्या यह दोहराने की जरूरत है कि हमेशा 'नीयत' ही सही आकलन का आधार बनती है। गडकरी के आलोच्य मामले का चिरफाड़ भी इसी आधार पर किया जाना चाहिए!
नितिन गडकरी ने वस्तुत: अफजल गुरु के पुराने लंबित फांसी के मामले पर कांग्रेस से पूछ डाला कि क्या अफजल कांग्रेस का 'दामाद' है? गडकरी वोट बैंक की सांप्रदायिक राजनीति को चिन्हित करते हुए कांग्रेस की आलोचना कर रहे थे। इसी क्रम में उन्होंने अफजल गुरु का मामला उठाया और कांग्रेस से यह असहज सवाल पूछ डाला। हमारे देश-समाज में 'दामाद' शब्द का सामान्य अर्थ के अलावा मुहावरे के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। अतिविशिष्ट व्यक्ति की तरह किसी की विशेष अथवा अत्यधिक खातिरदारी के लिए 'दामाद की तरह खातिरदारी' का प्रयोग आम है। इस मामले में गडकरी के कहने का आशय यही था। शब्दों को चबाये बगैर दो टूक कहने के आदी गडकरी ने वस्तुत: देश की भावना को प्रकट किया है। क्या इस मुद्दे पर गडकरी की आलोचना करनेवाले, उनसे माफी की मांग करनेवाले, उन्हें मनोरोगी घोषित करनेवाले इस सचाई को चुनौती दे सकते हैं? 'वोट बैंक' की राजनीति की उपज अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की नीति ने क्या राजनीतिक महामारी का स्वरूप ग्रहण नहीं कर लिया है? वर्ग-संप्रदाय और दलीय प्रतिबद्धता से भी इतर प्राय: सभी निजी बातचीत में इस महामारी की मौजूदगी और खतरनाक परिणाम को स्वीकार करते हैं। ध्यान रहे, इसे स्वीकार करनेवाले वर्ग में बहुसंख्यक तथा अल्पसंख्यक दोनों शामिल हैं। लेकिन इनमें से अधिकांश खुलकर अपने विचार इसलिए प्रकट नहीं कर पाते कि उन्हें 'सांप्रदायिक' घोषित कर दिये जाने का भय सताता है। आजादी के पूर्व और आजादी के पश्चात अल्पसंख्यक वर्ग को 'वोट बैंक' के रूप में परिवर्तित कर दिये जाने का जो राष्ट्रविरोधी षडय़ंत्र रचा गया, दु:खद रूप से वह आज भी जारी है। संसदीय प्रणाली में वयस्क मताधिकार की मूल अवधारणा के साथ बलात्कार करनेवाली ऐसी सोच के प्रवर्तकों की पहचान कठिन नहीं। विडंबना यह कि छद्मधर्मनिरपेक्षता का मुखौटा धारण करनेवाले ऐसे तत्वों को हमारे देश का कथित महान बुद्धिजीवी वर्ग प्रगतिशील निरूपित करता रहा है। जबकि यह वर्ग ही अच्छी तरह जानता है कि अगर आज देश-समाज का सांप्रदायिक सौहाद्र्र छिन्न-भिन्न हो रहा है, बल्कि हो चुका है, तो इन्हीं तत्वों और ऐसी सोच के कारण ही! कथित धर्मनिरपेक्ष व बुद्धिजीवी आडंबर के साथ जीवनयापन करनेवाले ये तत्व वस्तुत: विवेकहीन ही नहीं नपुंसक भी हैं। वर्तमान राजनीतिक गिरावट का यह एक कड़वा सच है। मैं जानता हूं कि आज के स्वार्थी समाज में सच कहना तो दूर सच सुनने से भी लोग कतरा जाते हैं। निज स्वार्थ का बोझ होता ही ऐसा है! लेकिन गतिमान कालचक्र कभी थकता नहीं। हर काल में कुछ ऐसे व्यक्तित्व अवतरित होते आए हैं जो समय के प्रवाह के विपरीत देश-समाज हित में और सच के पक्ष में कदमताल करने को तत्पर रहे हैं! अगर ऐसा नहीं हो तो 'राष्ट्र' नाम का अवशेष इतिहास के शोधकर्ता ढूंढते रह जाएंगे। नितिन गडकरी ने वस्तुत: ऐसी ही हिम्मत दिखाई है। अफजल गुरु की फांसी के मामले में सत्तापक्ष से उनका सवाल निजी नहीं बल्कि पूरे देश का सवाल है। देश को इसका जवाब चाहिए ही! धर्म संप्रदाय के आधार पर समाज-देश को विभाजित करनेवालों को गडकरी की आलोचना का नैतिक अधिकार नहीं! ये तो वे लोग हैं जिनकी निगाहें सिर्फ 'वोट' पर लगी रहती हैं, चाहे इसके लिए सांप्रदायिकता का जहर पूरे देश को निगल ही क्यों न ले! लेकिन ये भूल जाते हैं कि यह एक ऐसी दुधारी तलवार है जो कभी भी स्वयं इनके सिर कलम कर देगी। बेहतर होगा यह लोग गडकरी की भावनाओं को समझें! अर्थात्ï देश की भावनाओं को समझें! तुष्टीकरण की दामाद सरीखी नीति को दफना दें।

2 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

सही है, सच बोलेंगे तो फांसी का फन्दा तैयार है..

manmohan said...

aadarniya vinod jee .cheerphaae pdana ek sukhad anubhooti thi...mujhe ase lag raha tha ki aap dictate kar rahe hain aur main likh raha hoon....aapki yaad aati hai...aapse zaroor miloonga....milana chahata hoon...ab to blog ke jariye aap se mulaqaat hoti rahegi....aapka manmohan singh...09320713620