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Sunday, August 29, 2010

खतरनाक शिगूफा है 'भगवा आतंकवाद'

राजनीतिक स्वार्थ और लक्ष्य का नया विदू्रप चेहरा अत्यंत ही भयावह है। हिन्दी नहीं जानने-समझने का ऐलान कर चुके केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम को अचानक 'भगवा' का अर्थ कैसे समझ में आ गया? 'हिन्दू आतंकवाद' से आगे बढ़ते हुए 'भगवा आतंकवाद' के चिदंबरम-प्रलाप को फिसलती जुबान या फिर भाषा के प्रति अज्ञानता करार देकर फिर कोई खारिज न करे। यह राजनीतिक स्वार्थ का वह वीभत्स चेहरा है तो प्रकारान्तर में साम्प्रदायिकता का दानव बन तांडव करने लगता है। क्या दोहराने की जरूरत है कि ऐसी अवस्था समाज व देश में साम्प्रदायिक वैमनस्य व घृणा का जहर घोल देती है। ऐसे में भारत सरकार के गृहमंत्री द्वारा 'भगवा आतंकवाद' का प्रलाप क्यों? यह तो तय है कि चिदंबरम की कोई निजी आकांक्षा या स्वार्थ इस प्रकरण में निहित नहीं है। निश्चय ही या तो उन्हें गुमराह किया गया है या फिर केंद्र रचित किसी बड़ी साजिश के चिदंबरम प्रवक्ता बन गए। हालांकि कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर खुद को चिदंबरम की भगवा टिप्पणी से अलग कर लिया है। किन्तु यह नाकाफी है। चिदंबरम के बयान ने जो नुकसान पहुंचाया है, उसकी क्षतिपूर्ति तत्काल संभव नहीं है। ध्यान रहे, आज पूरा संसार जिस आतंकवाद से खौफजदा है वह इस्लामिक आतंकवाद के नाम से जाना जाता है। यह पीड़ादायक है किन्तु सच है कि वैश्विक स्तर पर व्याप्त आतंकवाद के पाश्र्व में इस्लाम अथवा मुस्लिम संप्रदाय ही है। इस बीच भारत में हुए कुछ विस्फोटों में कथित रूप से अंतर्लिप्त कतिपय हिन्दू संगठनों से जुड़े हिन्दू कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। विस्फोटों को अंजाम देने के आरोप इन पर लगे। जाहिर है कि इन्हीं घटनाओं को आधार बना केंद्रीय गृहमंत्री चिदंबरम ने 'भगवा आतंकवाद' का शिगूफा छोड़ दिया। यह एक ऐसी गैरजिम्मेदाराना हरकत है जिसे भारत देश सहन नहीं कर सकता। 'मुस्लिम आतंकवाद' के मुकाबले पहले हिन्दू आतंकवाद और अब 'भगवा आतंकवाद' को खड़ा कर मुस्लिम वोट बैंक को साबूत रखने की यह चाल हर दृष्टि से राष्ट्र विरोधी हरकत है। पूरे संसार में आतंकवाद के एक पर्याय के रूप में 'भगवा आतंकवाद' को जन्म देकर चिदंबरम ने देश का अहित किया है, राष्ट्र विरोधी हरकत की है। अगर प्रधानमंत्री अपने इस गैरजिम्मेदार गृहमंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते तब आम लोगों की इस आशंका को बल मिलेगा कि अकेले चिदंबरम नहीं बल्कि यह साजिश स्वयं भारत सरकार रचित है। जब अलकायदा जैसा खतरनाक आतंकवादी संगठन पुणे के जर्मन बेकरी विस्फोट की सार्वजनिक जिम्मेदारी ले रहा है, भगवा आतंकवाद को खड़ा किया जाना निश्चय ही एक समुदाय विशेष को दूसरे समुदाय विशेष की कीमत पर खुश करने की चाल है। ऐसा तो कभी गुलाम भारत में ब्रिटिश शासक किया करते थे। चिदंबरम ने तो कथित रूप से इस्लाम के खिलाफ खड़े इस्लाम के दुश्मनों को पनाह देने वालों को सबक सिखाने का दंभ भरने वाले ओसामा बिन लादेन के अल कायदा की मदद कर दी है। अगर कांगे्रस अपने इस कथन पर कायम है कि आतंकवाद का कोई रंग नहीं होता, तो वह तुरंत चिदंबरम को केंद्रीय मंत्रिमंडल से निकाल बाहर करे। देश में साम्प्रदायिकता का जहर फैलाने के आरोप में उन्हें दंडित करे। अन्यथा हम यह मानने को मजबूर हो जाएंगे कि चिदंबरम के बयान से स्वयं को अलग करने संबंधी कांग्रेस का बयान दिखावा मात्र है।

5 comments:

सुमो said...

बहुत सही लिखा है आपने..
कुछ विस्फोटों में कथित रूप से अंतर्लिप्त कतिपय हिन्दू संगठनों से जुड़े गिरफ्तार हिन्दू कार्यकर्ताओं के बारे में अभी अदालत से फैसला आना बाकी है. प्रज्ञा ठाकुर जैसों को तो मकोका में गिरफ्तार किया है ताकि बिना सबूत और चार्ज शीट दाखिल किये इनकी जुबान बन्द की जा सके

जर्मन बेकरी से ध्यान आया कि कुछ दिनों पूर्व किसी शेष नारायण सिंह नाम के अधकचरे ज्ञान वाले ब्लागर के ब्लाग पर जाना हुआ था जिसमें व्यक्ति ने जर्मन बेकरी ब्लास्ट की जिम्मेदारी अभिनव भारत पर डाले जाने के लिये विधवा प्रलाप किया था..

अब उस शेष नारायण सिंह को शायद शर्म आ रही होगी,,,

सौरभ आत्रेय said...

सच में सीमा पार हो चुकी है कब की, यह देश अब तलवार की धार पर रखा है, इसके शरीर पर निरन्तर तलवारें घोपीं जा रही हैं और धीरे-२ यह दम तोड़ता नज़र आ रहा है.

लोकेन्द्र सिंह said...

आपका विरोध जायज है। चिदंबरम साहब ने कभी आतंकवाद को इस्लामिक आतंकवाद की संज्ञा नहीं दी, न ही हरा आतंकवाद कहा? सीधी सी बात है यह वोट बैंक की घृणित राजनीति है। कई करोड़ों आतंकवादियों के खिलाफ कुछ एक हिन्दू कट्टरपंथियों को खड़ा किया जा रहा है या कहें उनकी श्रेणी में लाया जा रहा है जो कदापि तर्कसंगत नहीं। हिन्दू संगठनों की दो चार घटनाओं की तुलना हजारों हजार भीवत्स आतंकी घटनाओं से की जा रही है। यह सब विकृत मानसिकता और विकृत राजनीति की सोच है। इसी राजनीति और सोच की वजह से आज राम को अपनी जन्मभूमि के लिए कोर्ट के फैसले का इंतजार करना पड़ रहा है। आपका स्वागत है मेरे ब्लॉग अपनापंचू पर....... www.apnapanchoo.blogspot.com
क्यों बने आक्रांता का मकबरा?
बाबर कोई मसीहा नहीं अत्याचारी, अनाचारी, आक्रमणकारी और इस देश के निवासियों का हत्यारा है

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

हिन्दुओं को खत्म करने की साजिश है जो कुछ हिन्दू (दुर्भाग्य से)ही कर रहे हैं...

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

हिन्दुओं को खत्म करने की साजिश है जो कुछ हिन्दू (दुर्भाग्य से)ही कर रहे हैं...