centeral observer

centeral observer

To read

To read
click here

Sunday, December 19, 2010

मुस्लिम वोट बैंक की खतरनाक राजनीति!

कभी स्वयं के लिए प्रधानमंत्री की कुर्सी की अभिलाषा रखने वाले दिग्गी राजा अर्थात् दिग्विजय सिंह पर तरस खाने को जी चाहता है। इस हकीकत को जान लेने के बाद कि प्रधानमंत्री पद नेहरू-गांधी वंश के लिए आरक्षित हो चुका है, दिग्विजय ने इसका मोह तो त्याग किन्तु चाटुकारिता को इस हद तक अंगीकार कर लिया कि उनके चाहने वाले भी भौचक हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में 10 वर्षों तक शासन करने के बाद अपनी कांग्रेस पार्टी को वहां स्थायी मौत दे चुके दिग्विजय आखिर चाहते क्या हैं? दिग्विजय कहीं किसी अदृश्य एजेंडे पर तो नहीं काम कर रहे? उनके करीबी इस जिज्ञासा पर रहस्यमय मौन साध लेते हैं। इनके रिश्तेदार अर्जुन सिंह ने छात्र जीवन में अपने पिता की चिता के समक्ष कसम खाई थी कि वे कांगे्रस को समाप्त कर देंगे। चूंकि उस घटना की चर्चा मैं पहले कर चुका हूँ , आज विस्तार में नहीं जा रहा। नियति ने उन्हें उसी कांग्रेस के घर पनाह लेने को मजबूर कर दिया था, जिस घर को ध्वस्त करने की कसम खाई थी। कांग्रेस ने उनका इस्तेमाल किया, जम कर इस्तेमाल किया और आज अर्जुन सिंह की वर्तमान दुर्दशा को क्या बताने की जरूरत है। हाँ, यह जरूर है कि उनके रिश्तेदार दिग्विजय सिंह की अनुकंपा से मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने कफन अवश्य ओढ़ लिया। वही दिग्विजय सिंह आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रवाद की तुलना जर्मन तानाशाह हिटलर के राष्ट्रवाद से कर संघ परिवार को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा निरूपित कर रहे हंै। लोगों की त्वरित प्रतिक्रिया यही आई कि वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। लेकिन, मैं इससे सहमत नहीं। निश्चय ही दिग्विजय अर्जुन सिंह की कसम को राष्ट्रीय स्तर पर पूरा हुआ देखना चाहते हैं। सरस्वती शिशु मंदिर पर हिंसा और विद्वेेश फैलाने का आरोप लगाकर दिग्विजय निश्चय ही मदरसों में जारी आतंकवादी गतिविधियों का बचाव कर रहे हैं।पूर्वानुमान को सच साबित करते हुए कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी ने हर तरह के आतंकवाद को देश के लिए खतरा बताया, किन्तु दिग्विजय ने साफ शब्दों में हिंदू संगठनों को ज्यादा खतरनाक निरूपित किया। अमेरिकी राजदूत से राहुल गांधी ने यही तो कहा था। कांग्रेस महाधिवेशन में दिग्विजय का पूरा भाषण हिंदुओं के खिलाफ था। अपने संबोधन में एक बार भी दिग्विजय ने किसी मुस्लिम संगठन का नाम नही लिया। उन्होंने यह तो पूछा कि विस्फोट की कुछ घटनाओं में जो हिन्दू पकडे गए वे सभी संघ परिवार के क्यों है, किन्तु यह बताना भूल गए कि संसद पर हमले से लेेकर मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, वाराणसी ही नहीं बल्कि पूरे संसार में आतंकी हमले में पकड़े गए सभी आतंकी मुसलमान कैसे निकले? इस तरह का उदाहरण देना और चर्चा करना उचित तो नहीं किन्तु दिग्विजय सिंह के मार्फत कांग्रेस की असली मंशा को चिन्हित करने के लिए दु:खी हृदय में इसे दोहराना पड़ रहा है। यह एक अत्यंत ही खतरनाक प्रवृत्ति है। दिग्विजय मुसलमानों को खुश करने अर्थात् कांग्रेेस पार्टी के हाथों से खिसक चुके वोट बैंक पर पुन: कब्जा करने के लिए मुसलमान-मुसलमान का रट लगाते हुए बाबरी मस्जि़द को गिराये जाने की घटना की याद करना भी नहीं भूले। देश के माथे पर इसे धब्बा बताते हुए इसे मिटाने का संकल्प लेने की बात उन्होंने कही। बता दूँ कि कतिपय कट्टरपंथियों को छोड़ कर देश का व्यापक मुस्लिम समाज अपने लिए तुष्टिकरण की कांग्रेसी नीति से घृणा करने लगा है। मुस्लिम इसे अपना अपमान समझते हंै। बिहार का ताजा चुनाव परिणाम इसका प्रमाण है। कांग्रेस अब चाहे लाख कोशिश कर ले मुस्लिम समाज कांग्रेस के लिए वोट बैंक हरगिज नहीं बनेगा। हिंदू और मुसलमानों के बीच कथित रूप से बढ़ती खाई के लिए संघ परिवार को जिम्मेदार ठहराने वाले शिक्षित दिग्विजय उस समय बिलकुल अशिक्षित लगे जब उन्होंने न्यायपालिका, नौकरशाही और भारतीय सेना में संघ परिवार के घुसपैठ की जानकारी दी। हिंदू-मुसलमानों के बीच खाई को कांग्रेस ही बड़ा कर रही है। दोनों समुदाय के बीच घृणा का जहर घोल रही है वह। इस तरह की बातें कोई जिम्मेदार व्यक्ति तो कर ही नहीं सकता। साफ है कि दिग्विजय कोई और ही लक्ष्य साध रहे हैं। 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले के जनक के रूप में भाजपा के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन का नाम लेकर दिग्विजय ने जिस पाप को छिपाने की कोशिश की है वह मोटे अक्षरों में चिन्हित हो गया। एक चोर दूसरे को चोर बताकर स्वयं चोरी के अपराध से मुक्त नहीं हो जाता। दिग्विजय अपने गुप्त एजेंडे को लागू करें, कांग्रेेेस का बंटाधार करें अपनी बला से। अनुरोध है कि इस प्रक्रिया में वे देश व समाज में सामप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा न दें। जाति-धर्म की राजनीति से घृणा करने वाली युवा पीढ़ी को भ्रमित तो नहीं ही करंे। हां, एक बात और बता दूं। अगर दिग्विजय समय रहते नहीं चेते तो उनका हश्र भी कांग्रेस में वही होगा जो अर्जुनसिंह का हुआ। पहले इस्तेमाल और फिर कूड़ादान!

1 comment:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

आपको नमन कि, आप खरी और सही बात रखने की ताकत रखते हैं, वरना आज की मीडिया महानों के बारे में क्या कहा जाये..
एक एक बात सत्य है.. आपकी लिखी हुई...