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Tuesday, January 4, 2011

बोफोर्स का 'जिन्न' फिर बाहर!

बोतल फोड़ फिर बाहर निकले बोफोर्स के 'जिन्न' को क्या पुन: कैद कर पाएगी केंद्र सरकार? कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह तो अपनी ओर से 'बोफोर्स' को स्थायी मौत दे चुके हैं। प्रधानमंत्री तो 'बोफोर्स' मामले के जारी रहने को देश की छवि के खिलाफ निरूपित करते हुए यहां तक टिप्पणी कर चुके हैं कि किसी को परेशान करना अच्छी बात नहीं है। प्रधानमंत्री का आशय क्वात्रोकी से ही था। प्रधानमंत्री यह बताने से भी नहीं चूके थे कि क्वात्रोकी के खिलाफ कोई पुख्ता मामला नहीं है और पूरी दुनिया कह रही है कि हमारे पास भी क्वात्रोकी के खिलाफ कोई मामला नहीं हैं। तब भारत सरकार ने क्वात्रोकी को इंटरपोल के रेडकॉर्नर नोटिस की सूची से बाहर निकलवा दिया था और फ्रीज किए गए क्वात्रोकी के विदेशी बैंक खातों को भी खुलवा दिया था। देश को यह भी मालूम है कि इसके पूर्व किस प्रकार भारत के अभियुक्त क्वात्रोकी को देश से बाहर निकल जाने दिया गया था। तब विश्लेषकों ने टिप्पणी की थी कि सन् 2004 में सत्तारूढ़ हुई सोनिया गांधी के नेतृत्व की संप्रग सरकार का एजेंडा ही था 'बोफोर्स' को मौत दे क्वात्रोकी को आजाद कराना! अपने वफादार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मार्फत सोनिया गांधी अपने एजेंडे को क्रियान्वित करने में तब सफल हुई थीं। जिस 'बोफोर्स' कांड ने 1989 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सरकार की बलि ले ली थी, उस कांड के ऐसे हश्र पर पूरा देश चकित था। सत्ता शक्ति के दुरुपयोग की मिसाल के रूप में बोफोर्स के हश्र को चिन्हित किया गया। पूरा देश इस तथ्य से अवगत है कि सोनिया गांधी का नजदीकी क्वात्रोकी इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल से प्रधानमंत्री के आवास में ही रहा करता था। लेकिन आज इन्कमटैक्स ट्रिब्यूनल विभाग के खुलासे के बाद भारत सरकार और विशेषकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह क्या जवाब देंगे? ट्रिब्यूनल ने साफ शब्दों में कह दिया है कि ओत्तावियो क्वात्रोकी और एक अन्य दलाल विन चड्ढïा को बोफोर्स सौदा करवाने के एवज में बोफोर्स कंपनी की ओर से करोड़ों रुपए की रिश्वत मिली थी। ट्रिब्यूनल ने यह भी रेखांकित किया है कि रक्षा सौदों में भारत में दलाली गैरकानूनी है। यही नहीं क्वात्रोकी और चड्ढïा भारत में इन्कमटैक्स न चुकाने के भी अपराधी हैं। क्या अब भी भारत सरकार, उसके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहेंगे कि सौदे में कोई दलाती नहीं दी गई थी? जनहित में क्वात्रोकी के खिलाफ मुकदमा वापिस लेने की अर्जी दाखिल करनेवाली सीबीआई के माथे पर भी ट्रिब्यूनल के इस खुलासे के बाद एक और काला धब्बा लग गया है। इस बिन्दु पर मैं यह चिन्हित करना चाहंूगा कि स्वयं सीबीआई दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में मामला बंद करने की अर्जी दिए जाने के पूर्व एक अर्जी दाखिल कर चुकी थी कि इस मामले में अगर कोई क्लोजर रिपोर्ट दाखिल होता है तो उसे खारिज कर दिया जाये।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद कर स्वयं को मसीहा के रूप में प्रस्तुत करनेवाली सोनिया गांधी को चुनौती है कि वे क्वात्रोकी के मामले को पुन: खुलवाएं। चुनौती है प्रधानमंत्री को भी और भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी को भी कि वे जनहित में और देशहित में बोफोर्स कांड के मुख्य आरोपी क्वात्रोकी को भारत वापस ला कानून के हवाले करें। किसी भी भ्रष्टाचारी को न बख्श दिए जाने की घोषणा पर अमल करते हुए क्वात्रोकी को दंडित किया जाए।
यह मामला दलाली अथवा रिश्वत की दखल का ही नहीं, रक्षा सौदों में व्याप्त भ्रष्टाचार का है। केंद्र सरकार की ही नहीं बल्कि पूरे देश की छवि व साख का मामला है यह! चूंकि ताजा खुलासा किसी विपक्षी दल ने नहीं बल्कि भारत सरकार की ही एक एजेंसी ने किया है, उम्मीद है कि कम से कम इसे झुठलाने की कोशिश भारत सरकार नहीं करेगी।