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Saturday, August 27, 2016

भारत का संयम टूटता है तो जिम्मेदार पाकिस्तान!

शांतिप्रिय भारत के लोग बेचैन हैं कि पाकिस्तान बार-बार उनकी  सहनशीलता धैर्य की परीक्षा क्यों ले रहा है? अतीत में पाकिस्तान अपने ऐसे रुख के दुष्परिमाण भुगत चुका है। बावजूद इसके पाकिस्तानी शासक भारत को मजबूर करते रहे हैं तब अगर भारत  धैर्य खो देता है तो जिम्मेदारी पाकिस्तान की ही होगी। कश्मीर में पाकिस्तान अपने गुर्गों को भेज हिंसा का जो खेल खेल रहा है उस पर आखिर भारत कब तक चुप रहेगा? यह तथ्य निर्विवाद रूप से चिन्हित हो चुका है कि पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादी घाटी में प्रवेश कर हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। कतिपय भ्रमित युवाओं को उकसा कर, प्रलोभन देकर उनका दुरुपयोग पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार के खिलाफ तो कर ही रहा है, पूरी घाटी में तनाव का ऐसा ताना-बाना बुन रखा है जिसे छिन्न-भिन्न करने के लिए भारत को कड़े निर्णायक कदम उठाने ही होंगे। मजबूरन भारत ने इस दिशा में संकेत देने शुरू कर दिए हैं।
भारत सरकार की ओर से द्विपक्षीय वार्ता की पाकिस्तानी पहल पर दो टूक शब्दों में कह दिया गया कि अब अगर कोई बात होगी तो आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के ऊपर। संदेश साफ है, पाकिस्तान भारतीय क्षेत्र में अपनी आकंतवादी गतिविधियों को खत्म करे और कश्मीर के जबरिया कब्जेवाले क्षेत्र को खाली कर हमें वापस लौटा दे। इतना कड़ा और स्पष्ट रुख भारत ने पहले कभी नहीं दिखाया था। सैन्य कार्रवाईयों के द्वारा अतीत में भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाया तो मजबूर होकर। पहल हमेशा पाकिस्तान की ओर से हुई, भारत ने उसे मुंहतोड़ जवाब दिए। आज पाकिस्तान कश्मीर को लेकर फिर भारत को मजबूर कर रहा है कि वह उसे एक और सीख दे ही दे। ध्यान रहे पाकिस्तान की ओर से आतंकवादी घटनाओं को सिर्फ कश्मीर में ही अंजाम नहीं दिया जा रहा बल्कि, भारत के अन्य क्षेत्रों में भी पाक से भेजे गए आतंकवादी हिंसक घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं।  चाहे मुंबई का 26/11 हो या उसके पूर्व भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला हो , ताजा तरीन पठानकोट सेना क्षेत्र पर हमला हो पाकिस्तान की नापाक हरकतें जारी हैं। कश्मीर के बहाने उसने आतंकवाद को पूरे भारत में फैलाने की कोशिश की है। भारत में घटित हर आतंकवादी घटनाओं में पाकिस्तान की संलिप्तता सप्रमाण चिन्हित होती रही है। भारत जब विकासशील से विकसित देशों की श्रेणी में प्रवेश के लिए विकासमार्ग पर कदमताल कर रहा है, आतंवाद सरीखे अवरोधकों को उसे मिटाना तो होगा ही।  भारतीय विदेश सचिव एस. जयशंकर ने पाकिस्तान को पत्र भेज कर देश के कड़े रुख का इजहार कर दिया है। अब गेंद पाकिस्तान के पाले में है। भारत प्रतीक्षा कर रहा है कि वह अपने कब्जे वाले कश्मीर को कब खाली करता है और कश्मीर सहित देश के विभिन्न भागों में सक्रिय अपने प्रशिक्षित आतंकवादियों को कब वापस बुलाता है। पाकिस्तान भारत के ताजा रुख को हल्के से ना ले। यह केवल भारत सरकार का रुख नहीं है बल्कि पूरी भारतीय आबादी की इच्छा है। अब प्रत्येक भारतवासी पाकिस्तान को स्थायी सबक सिखाने के पक्ष में है। लगभग सात दशक से बर्दाश्त करते 'दंश’  को खत्म तो करना ही होगा। पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय जनाक्रोश अब संयम खोने की कगार पर है। भारत सरकार ने इसे पहचान अपना रुख तय कर लिया है। बेहतर हो पाकिस्तान भी इसे पहचान केवल अपने पैर पीछे खींचे बल्कि, समर्पण भी कर दे।

1 comment:

अजय कुमार झा said...

सामयिक और सटीक लेख । आपको नियमित पढता हूँ और आपका प्रशंसक भी हूँ