Sunday, December 27, 2009
बेशर्म तिवारी का यह कैसा महिमामंडन!
नारायण दत्त तिवारी के राज्यपाल पद से इस्तीफे पर आश्चर्य नहीं। आश्चर्य तो कांग्रेस की ओर से इस्तीफे के स्वागत पर है। कांग्रेस को ेफख्र है कि तिवारी ने इस्तीफा देकर मिसाल कायम की है, एक आदर्श पेश किया है। शाबाश! अगर तिवारी इस्तीफा नहीं देते तब क्या राष्ट्रपति उन्हें बर्खास्त कर देतीं? क्या केंद्र सरकार बर्खास्तगी की अनुशंसा करती? कांग्रेस प्रवक्ता यह नहीं बता पाए। खबर है कि राजभवन में भाड़े की यौवनाओं के साथ रासलीला रचाने वाले राज्यपाल तिवारी इस्तीफा देने को तैयार नहीं थे। एक आम बेशर्म राजनीतिक की तरह वे स्वयं को पाक-साफ बताने की कोशिश कर रहे थे। अपने खिलाफ रचे गए किसी अज्ञात षड्यंत्र की दुहाई दे रहे थे। लेकिन अंतत: दबाव में आकर उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया। यहां केंद्र सरकार चूक गई। तिवारी का दुष्कर्म सामने होते ही उन्हें बर्खास्त कर केंद्र सरकार वस्तुत: अपनी ओर से मिसाल कायम कर सकती थी। उसने ऐसा तो किया नहीं, उल्टे तिवारी को महिमामंडित करने के लिए अवसर दे दिया कि वे कथित मिसाल पेश करें। क्या यह जनभावना का उपहास नहीं? बिल्कुल ऐसा ही है और केंद्र सरकार इसकी अपराधी है। अब यक्ष प्रश्र यह है कि क्या इस्तीफा दे देने से तिवारी अपराध मुक्त हो जाएंगे? कभी 'नई दिल्ली तिवारी' के नाम से मशहूर संजय गांधी भक्त तिवारी को जानने वालों को इस रासलीला की खबर पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ। वे तो परिणाम की प्रतीक्षा में हैं। राजभवन की गरिमा-पवित्रता को लांछित करने वाले तिवारी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की प्रतीक्षा है। रुचिका कांड के अपराधी हरियाणा के पूर्व पुलिस महासंचालक राठौर के खिलाफ पूरे देश में रोष है। सरकार ने उन्हें प्रदत्त पुलिस मेडल व पेंशन वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राठौर एक नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ के दोषी पाए गए। इनके मुकाबले क्या नारायण दत्त तिवारी का अपराध गंभीर नहीं? तिवारी तो अपने पद का दुरुपयोग कर प्रलोभन देकर यौन-शोषण करने के अपराधी हैं। गरीब लड़कियों की अस्मत् के साथ खेलने का घृणित कृत्य किया है इन्होंने। खनन-पट्टा दिलाए जाने का झूठा प्रलोभन क्या षड्यंत्र की श्रेणी में नहीं आता? अपनी यौन-तुष्टि के लिए एक संदिग्ध चरित्र की महिला से सहयोग लेकर तिवारी ने न केवल राज्यपाल पद की गरिमा-पवित्रता को तार-ृतार किया है बल्कि भारत की संवैधानिक संस्थाओं पर आसीन सभी लोगों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। ठीक उसी तरह, जिस तरह एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है। तिवारी उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे, यहां तक कि प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी रहे। भारतीय राजनीति के ऐसे किरदार ही लोकतंत्र को लांछित करते रहे हैं। अगर हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व संवैधानिक संस्थाओं की पवित्रता-गरिमा को बेदाग रखने के प्रति गंभीर है, तब वह तिवारी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करे। उनके खिलाफ आपराधिक मामला चलाया जाए। तभी सभी के लिए समान कानून की पवित्र अवधारणा की विजय होगी।
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6 comments:
यह एक भयानक षड्यंत्र है -राजभवन में भी ख़ुफ़िया कैमरे और और स्टेज्द शो ? और बलि का बकरा बनते तिवारी -ये बेहद खतरनाक संकेत हैं ! भाड़ में जाय तिवारी मगर राजभवन की सुरक्षा में भयानक चूक ,शिथिलता पर क्या कार्यवाही होनी चाहिए वक्त इसका भी है !
और कोई इस तरह का यौनीय चारा लगाकर किसी भी को भी फांसा जा सकता है !क्या मानवीय (जैवीय ) भावनाओं को दुलराते हुए ऐसे स्टिंग आपरेशन किसी भी दृश्य से उचित हैं ?
इन पर भी विचारिये श्रीमन!
sriman bhaiya ji,
aap ne bilkul sat pratishat sahi likha hai . ismin kisi pramaan ki aavshayakta nahi hai tiwari ji desh ki rajniti mein maha raja kapoorthala ki saakshaat pratimurti rahe hain bhartiy rajao k sambandh mein maharaja kapoorthala k mantri rahe sir jemini das ne bhartiy raja maharajaon ka vashtvik chitran kiya hai maanniy narayan datt tiwari ji usi ki pratimurti hain jab jab yah mukhymantri rahe hain kangress buri tarike se haari hai inke kaarnaamo ko kaun nahi janta hai . is mein koi shadyantr nahi hai aur na hi koi bhayanak baat hai agar yah cameras netaon k asspass lagaye jayein to isse bhayanak p0aridrashy janta k saamne aayenge baap ne post likhkar ek sacchai ko salaam kiya hai . bhailog tarah tarah ki afvaahbaaji karenge hi .
sadar
suman
loksangharsha.blogspot.com
मुझे तो इसमें साजिश की बू आती है...
एक नक्सल प्रभावित राज्य के राज भवन में बेड रूम में स्टिंग आपरेशन हो जाना सचमुच ही चिंता का बड़ा विषय है जो सीधे देश की सुरक्षा से जुड़ता है बाकी तो नेताओं का क्या नहीं चल रहा! जहाँ आर्थिक भ्रष्टाचार होगा वहाँ नैतिक मूल्यों को जूते की नोक पर रखा जायेगा। मध्य प्रदेश में तो मंत्रियों के ड्राइवरों के यहाँ करोड़ों बरामद होने के बाद उन्हें दुबारा मंत्री बना दिया जाता है जिनके अनैतिक आचरण के किस्से गली गली मशहूर हैं और अगर वे पकड़े भी जाते हैं तो पुलिस नाम पर जाँच में क्लीन चिट दिलवा दी जाती है। सरे आम हत्यारों को केस कमजोर करके बचा लिया जाता है।
तिवारी जी को बेनकाब कर दिया गया और हल्ला मच रहा है कि राजभवन में किसने कैमरे लगा दिए यह सुरक्षा में चुक है। बड़ा चिंता का विषय है, लेकिन कैमरे न लगे, सुरक्षा को चाक चौबंद कर रंडीबाजी चलने दी जाए। ऐसे नेताओं को गोली मार देनी चाहिए जो जनता को नसीहत देते हैं और खुद रांडबाजी और पैसे खाने का धंधा करते हैं। तिवारी जी ललनाओं के लंबे समय से शौकीन हैं।
सही बात की है तो कमल शर्मा जी ने. बाकी जैन साहब को कांग्रेस में भ्रष्टाचार के खिलते कमल कहीं दिखाई नहीं देते. स्वतन्त्र भारत में जिस सबसे पहले घोटाले की खबर आई थी वह शायद जीप खरीद घोटाला था और उस समय प्रिय जैन साहब की प्रिय पार्टी का ही शासन था.
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