अपनी ही पार्टी (अपना दल) से अपनी ही मां (कृष्णा) द्वारा निष्काषित 35 वर्षीय अनुप्रिया पटेल को राज्य मंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तीर से अनेक निशाने साधे हैं। सुप्रसिद्ध लेडी श्रीराम कॉलेज, अॅमेटी विश्वविद्यालय और कानपुर विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने वाली अनुप्रिया ने मनोविज्ञान में एम.ए और एमबीए की डिग्री हासिल कर स्वयं को उच्च शिक्षित की पंक्ति में रखा है।
जाति से कुर्मी अनुप्रिया पूर्वी उत्तर प्रदेश की कुर्मी बहुल 25 से 30 विधानसभा सीटों पर जातीय प्रभाव रखती हैं। सार्वजनिक जीवन में अपने तीखे बोल के लिए भी पहचानी जानेवाली ऐसी अनुप्रिया को मोदी ने मंत्रिमंडल में यूं ही शामिल नहीं किया है।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताजा फेरबदल को वर्ष 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से अलग रखने की बात कही है, सचाई कुछ और है। जातीय और अन्य प्राथमिकताओं को प्रधानता दे मोदी ने जिस प्रकार अनुप्रिया को सामने लाया है उससे न केवल भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई बल्कि वहां के अन्य दलों में भी फुसफुसाहट शुरु हो गई है।
कथित ’धार्मिक उफान’ की जरूरत को ध्यान में रखकर ही अनुप्रिया का चयन किया गया है। ध्यान रहे ये वही अनुप्रिया पटेल हैं जिन्होंने अल्पसंख्यकों के खिलाफ ट्वीट कर टिप्पणी की थी कि ‘ कभी सुना नहीं था 100 करोड़ डर जाएं 20 करोड़ मुल्लों से...’ नफरत की राजनीति से भरपूर अनुप्रिया की इस टिप्पमी पर काफी बवाल खड़ा हुआ था। विपक्ष की ओर से तब टिप्पणी की गई थी कि अगर ये सही है तो नफरत की राजनीतिक के सबसे खतरनाक मंजर के लिए देश को तैयार रहना होगा।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर भी अनुप्रिया ने ट्वीट के जरिए टिप्पणी की थी कि ‘वो राष्ट्रभक्ति के खून में देशद्रोह का खून भरने का काम छोड़ दें वर्ना .....’ अनुप्रिया के इस ट्वीट को राहुल के लिए सीधी चेतावनी के रूप में देखा गया था। इसी प्रकार एक अन्य ट्वीट में अनुप्रिया ने कहा था कि ‘आज वतन को खुद के पाले घडिय़ालों से खतरा है बाहर के दुश्मन से ज्यादा घरवालों से खतरा है......’ पिछले जून माह में कैराना में हो रहे कथित हिंदूू पलायन के मुद्दे को लेकर अखिलेश सरकार पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया था। नोएडा के दादरी में गोमांस रखने के शक में अखलाक की हत्या पर अनुप्रिया ने अखिलेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए टिप्पणी की थी कि ‘अखलाक पर करोड़ों रुपए न्यौछावर किए लेकिन कैराना के ंिहंदुओं के लिए दो बोल भी नहीं कहे....’
अनुप्रिया के मंत्री परिषद में शामिल किए जाने के साथ ही राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरु हो गई है कि वस्तुत: प्रधानमंत्री मोदी ने अनुप्रिया का चयन उत्तर प्रदेश के भावी नेता के रूप में किया है। भाजपा और संघ की विचारधारा को अपने तीखे बोल से आगे बढ़ानेवाली अनुप्रिया में प्रधानमंत्री ने नेतृत्व की क्षमता देखी है। महिला होने का अतिरिक्त लाभ भी अनुप्रिया को मिलेगा। अनुप्रिया को सामने लाकर प्रधानमंत्री मोदी उत्तर प्रदेश में सक्रिय भाजपा के अनेक महत्वाकांक्षी नेताओं को भी कड़ा संदेश दे दिया है। हमेशा कुछ चमत्कारी के पक्षधर प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव में भी अनुप्रिया कांग्रेस की संभावित नेता प्रियंका गांधी के मुकाबले प्रचार मैदान में कूदे। दिल्ली में भी स्मृति इरानी को मानव संसाधन मंत्रालय से हटाकर उनका कद छोटा करने के बाद एक तेज-तर्रार महिला नेत्री के स्थान को भी भरने की कोशिश अनुप्रिया के जरिए की जाएगी। क्योंकि अब तो यह तय है कि स्मृति ईरानी प्रथम पंक्ति की नेता नहीं रहेंगी। संभवत: यह स्थान अनुप्रिया पटेल को मिलेगा।
लेकिन राजनीतिक पंडितों की चिंता कुछ और है। घोर सांप्रदायिक बोल बोलनेवाली अनुप्रिया पटेल का उपयोग अगल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए किया जाता है तब यह तय है कि अनुप्रिया भी साध्वी प्राची, योगी आदित्यनाथ और निरंजन ज्योती की राह पर जाएंगी। ऐसे में जिस ध्रुवीकरण को लेकर राजदल विचलित हैं उसमें इजाफा होगा। विचारधारा के आधार पर भाजपा और संघ की अनुकूल अनुप्रिया पटेल सचमुच भविष्य में भाजपा के लिए कम से कम उत्तर प्रदेश में काफी उपयोगी साबित होंगी।
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