'मीडिया मंडी' के आंगन में इन दिनों माल्या का 'भूत' तांडव कर रहा है। बैंकों से कर्ज ले पूरे देश को दारू पिलाने वाले विजय माल्या 'अ-कृतघ्न' भारत को छोड़ विदेश भाग गये हैं। हालांकि वे 'भागने' से इंकार करते हैं किंतु, भारत वापसी की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। 'मीडिया मंडी' चिल्ल-पौं पर माल्या ने धमकी दी है कि वे मीडिया घरानों की पोल खोल देंगे। कतिपय मीडिया घराने और पत्रकार माल्या द्वारा 'नंगा' कर दिये जाने की संभावना से भयभीत हैं। होना भी चाहिए। विशेष कर माल्या की अय्याशी में भागीदार मीडिया कर्मियों को। माल्या की धमकी के बाद तर्क-वितर्क और सफाई का दौर जारी है। किंतु, माल्या के 'उपकार' से फिलहाल इंकार करने का नैतिक साहस कोई जुटा नहीं पा रहा।
माल्या ने ट्वीट किया है कि अनेक मीडिया घराने उनके किंगफिशर जहाजों में न केवल घूमे हैं, बल्कि देर रात तक चलने वाली पार्टियों में भी शरीक हुए हैं। मेरे धन से उपकृत हुए मीडिया वालों के नाम एक रजिस्टर में दर्ज हैं। वक्त आने पर सब की पोल खुल जाएगी।
असल में माल्या के विदेश चले जाने अथवा भारत से भाग जाने को लेकर मीडिया में जो खबरें प्रसारित हुई, उससे माल्या बेहद खफा हैं। भले ही माल्या ने यह बात नहीं कही, लेकिन उनके मन में यह विचार तो है ही कि मैंने बैंकों से जो कर्ज (लोन) लिया, उसे सिर्फ अपनी मौज-मस्ती पर खर्च नहीं किया, बल्कि मीडिया सहित राजनेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और प्रभावशाली व्यक्तियों के ऐश-ओ-आराम पर भी पानी की तरह पैसा बहाया है। यानि जिन लोगों ने माल्या के लोन से मौज-मस्ती की, अब वही माल्या को भगोड़ा बता रहे हैं।
माल्या के ट्वीट से एक बार फिर हमारे मीडिया की पोल खुल गई है। असल में लोन की राशि से मीडिया घरानों ने मौज-मस्ती ही नहीं की, बल्कि माल्या की कंपनियों के करोड़ों रुपए के विज्ञापन भी प्रसारित किए। मीडिया घरानों के मालिक कह सकते हैं कि विज्ञापन तो हमारा अधिकार है, लेकिन अब मीडिया घरानों को यह समझना चाहिए कि वक्त बदल गया है।
सोशल मीडिया के जमाने में मीडिया घरानों को अपनी आलोचना झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए। जब बैंकों का कर्ज न चुकाने पर माल्या को दोषी माना जा सकता है तो फिर उसी कर्ज में से विज्ञापन के नाम पर करोड़ों रुपया प्राप्त करने वाले मीडिया घराने भी दोषी हैं।
इन दिनों देश में मीडिया खासकर न्यूज चैनलों के जो हालात हैं, उसमें माल्या को चाहिए कि वह जल्द से जल्द मीडिया के चेहरे पर से नकाब उतार दें। माल्या अपनी देर रात की पार्टियों के वो वीडियो जारी कर दें, जिसमें मीडिया घराने के लोग ही नहीं, बल्कि राजनेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और प्रभावशाली व्यक्तियों की मौज-मस्ती भी शामिल है। माल्या को सिर्फ धमकी नहीं देनी चाहिए बल्कि अपनी धमकी पर अमल भी करना चाहिए।
माल्या जितने नंगे हो चुके हैं, उससे ज्यादा की अब गुंजाइश भी नहीं है। माल्या को चाहिए कि वह तत्काल प्रभाव से अपने देश आएं और एक-एक की पोल खोल दें।जब भी कोई बड़ा व्यक्ति अपराध में पकड़ा जाता है तो सबसे पहले मीडिया को ही धमकाता है। मीडिया को अब यह सोचना चाहिए कि आखिर हर बार उसे ही क्यों धमकी मिलती है।
...और यह भी
BBC Hindi ट्विटर पर रविवार को हैशटैग 'नए हिंदी मुहावरे' ट्रैंड कर रहा है, जिसमें लोग प्रचलित हिंदी मुहावरों को नया रूप दे रहे हैं. इस ट्रैंड की शुरुआत आम आदमी पार्टी नेता कुमार विश्वास ने एक के बाद एक कई ट्वीट करके की.एक ट्वीट में उन्होंने लिखा - नौ-दो माल्या हो जाना
माल्या ने ट्वीट किया है कि अनेक मीडिया घराने उनके किंगफिशर जहाजों में न केवल घूमे हैं, बल्कि देर रात तक चलने वाली पार्टियों में भी शरीक हुए हैं। मेरे धन से उपकृत हुए मीडिया वालों के नाम एक रजिस्टर में दर्ज हैं। वक्त आने पर सब की पोल खुल जाएगी।
असल में माल्या के विदेश चले जाने अथवा भारत से भाग जाने को लेकर मीडिया में जो खबरें प्रसारित हुई, उससे माल्या बेहद खफा हैं। भले ही माल्या ने यह बात नहीं कही, लेकिन उनके मन में यह विचार तो है ही कि मैंने बैंकों से जो कर्ज (लोन) लिया, उसे सिर्फ अपनी मौज-मस्ती पर खर्च नहीं किया, बल्कि मीडिया सहित राजनेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और प्रभावशाली व्यक्तियों के ऐश-ओ-आराम पर भी पानी की तरह पैसा बहाया है। यानि जिन लोगों ने माल्या के लोन से मौज-मस्ती की, अब वही माल्या को भगोड़ा बता रहे हैं।
माल्या के ट्वीट से एक बार फिर हमारे मीडिया की पोल खुल गई है। असल में लोन की राशि से मीडिया घरानों ने मौज-मस्ती ही नहीं की, बल्कि माल्या की कंपनियों के करोड़ों रुपए के विज्ञापन भी प्रसारित किए। मीडिया घरानों के मालिक कह सकते हैं कि विज्ञापन तो हमारा अधिकार है, लेकिन अब मीडिया घरानों को यह समझना चाहिए कि वक्त बदल गया है।
सोशल मीडिया के जमाने में मीडिया घरानों को अपनी आलोचना झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए। जब बैंकों का कर्ज न चुकाने पर माल्या को दोषी माना जा सकता है तो फिर उसी कर्ज में से विज्ञापन के नाम पर करोड़ों रुपया प्राप्त करने वाले मीडिया घराने भी दोषी हैं।
इन दिनों देश में मीडिया खासकर न्यूज चैनलों के जो हालात हैं, उसमें माल्या को चाहिए कि वह जल्द से जल्द मीडिया के चेहरे पर से नकाब उतार दें। माल्या अपनी देर रात की पार्टियों के वो वीडियो जारी कर दें, जिसमें मीडिया घराने के लोग ही नहीं, बल्कि राजनेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और प्रभावशाली व्यक्तियों की मौज-मस्ती भी शामिल है। माल्या को सिर्फ धमकी नहीं देनी चाहिए बल्कि अपनी धमकी पर अमल भी करना चाहिए।
माल्या जितने नंगे हो चुके हैं, उससे ज्यादा की अब गुंजाइश भी नहीं है। माल्या को चाहिए कि वह तत्काल प्रभाव से अपने देश आएं और एक-एक की पोल खोल दें।जब भी कोई बड़ा व्यक्ति अपराध में पकड़ा जाता है तो सबसे पहले मीडिया को ही धमकाता है। मीडिया को अब यह सोचना चाहिए कि आखिर हर बार उसे ही क्यों धमकी मिलती है।
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