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Friday, April 2, 2010

वैवाहिक मामलों में यह कैसी सियासत!

धर्म, सम्प्रदाय, जाति, क्षेत्र का यह कैसा जहरबुझा तीर जो बार-बार भारतीय समाज के सीने बेधता रहता है! संवैधानिक रूप में स्थापित धर्मनिरपेक्षता को चुनौती देता रहता है! क्या हो गया है हमारी सोच को? विकास, महंगाई, गरीबी, सामाजिक विषमता सहित अनेक ज्वलंत मुद्दों पर ध्यान देने की जगह हम गैरजरूरी, नितांत व्यक्तिगत मामलों को साम्प्रदायिक रंग देकर समाज को तोडऩे या समाज में साम्प्रदायिक विद्वेष फैलाने के जिम्मेदार बनते जा रहे हैं! निश्चय ही ये बातें राष्ट्रीय सोच की अवमानना हैं। विश्व समुदाय में धर्मनिरपेक्ष भारत की विशिष्टता को समाप्त करने का यह षडय़ंत्र अक्षम्य है। विख्यात टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा के विवाह को लेकर उत्पन्न विवाद भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है। पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ी शोएब मलिक से विवाह करने का सानिया का निर्णय एक नितांत निजी मामला है। फिर इस पर हायतौबा क्यों? क्या सिर्फ इसलिए कि सानिया एक मुस्लिम है और वह एक मुस्लिम पाकिस्तानी के साथ शादी करने जा रही है? क्या गलत है इसमें? भारत से टूटकर अलग बने पाकिस्तान और भारत में दोनों देशों के अनेक रिश्तेदार बसते हैं। सियासी खिलाडिय़ों को अलग कर दें तो भारत और पाकिस्तान के बाशिंदे आज भी परस्पर भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं। सम्प्रदाय के नाम पर विरोध के ऐसे स्वर निकालने वाले सियासत के वैसे खिलाड़ी हैं जिनका धंधा ही नफरत फैलाना है, धर्म की राजनीति ही इनका पेशा है। शोएब के साथ सानिया मिर्जा के विवाह को लेकर आवाज उठाने वाले चाहते ही नहीं कि देश में साम्प्रदायिक सौहार्द्र कायम रहे। मैं चाहूंगा कि ऐसे तत्व सानिया मिर्जा के पूर्व मंगेतर सोहराब मिर्जा से कुछ सीख लें। सगाई टूटने से सोहराब आहत तो हैं किन्तु वे सानिया के लिए दुआ कर रहे हैं और उसकी उपलब्धियों पर गौरवान्वित हैं। कुछ अन्य व्यक्तियों के साथ सानिया का नाम जोड़कर चरित्र हनन करने वालों से सोहराब ने अनुरोध किया है कि वे सानिया पर कोई कलंक न लगाएं। सोहराब का यह बड़प्पन अनुकरणीय है। शिवसेना ने तो खैर अपने चरित्र के अनुरूप सानिया मिर्जा की आलोचना की है। भौंडे ढंग से उसने टिप्पणी की है कि कई करोड़ भारतीय मुसलमानों को छोड़कर सानिया ने एक पाकिस्तानी मुसलमान को पसंद किया। ऐसी घटिया टिप्पणी की भत्र्सना की जानी चाहिए। हर व्यक्ति को अपना जीवनसाथी चुनने की आजादी है। स्वदेशी या विदेशी इस मार्ग में बाधा नहीं बनते। सानिया ने वस्तुत: अपनी पसंद के जरिए दोनों देशों के बीच मौजूद खाई को कम करने की कोशिश की है। सानिया और शोएब दोनों खेल जगत के चमकते सितारे हैं। दोनों के बीच निकटता को सकारात्मक रूप में लेते हुए अनुकरणीय बनाया जाए। और सियासत के खिलाड़ी बेहतर हो विवाह जैसे निजी मामलों से दूर ही रहें।

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