Tuesday, April 27, 2010
लोकतंत्र के दुश्मन, विश्वासघाती ये जनप्रतिनिधि!
'चोर-चोर मौसेरे भाई' की कहावत को सार्थक करते हुए हमारे कथित निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने एक बार फिर 'नापाक राजनीतिक सौदेबाजी' का घृणित, बेशर्म मंचन किया है। कठोर शब्दों के इस्तेमाल के लिए क्षमा करेंगे। मैं मजबूर हंू अपने राष्ट्रीय दायित्व को लेकर, निर्भीक, ईमानदार पाठकीय मंच की पवित्रता को लेकर। इसी स्तंभ में मैंने पिछले 25 अप्रैल को कांग्रेस और मायावती की बसपा के बीच 'लव डील' की आशंका व्यक्त की थी। संसद में सरकार के विरुद्ध भाजपा-वामपंथी दलों के कटौती प्रस्ताव पर मायावती के साथ कांग्रेस अर्थात्ï सरकार की उक्त 'डील' हुई थी। मायावती को तैयार कर लिया गया था कि वे कटौती प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेंगी। ऐसा ही हुआ। जिस मायावती और उनकी बहुजन समाज पार्टी को कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी, महामंत्री राहुल गांधी, उत्तर प्रदेश के प्रभारी महामंत्री दिग्विजय नारायण सिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा आदि पानी पी-पी कर भ्रष्टाचार की प्रतिमूर्ति निरूपित करते आए हैं, उत्तरप्रदेश की बसपा सरकार को भ्रष्टाचार में लिप्त और नकारा बताते आए हैं, उसी की मदद लेने को मजबूर कांग्रेस और केंद्र सरकार ने क्या दिया, क्या देगी? इसी तरह केंद्र सरकार और कांग्रेस को भ्रष्ट, नकारा और पूर्वाग्रही बताती रहीं, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी को निशाने पर लेती रहीं, केंद्र सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प दोहराते रहीं मायावती आज केंद्र सरकार को बचाने के लिए ढाल कैसे बन गईं? 'माया' की दुनिया को एक यथार्थ के रूप में स्वीकार करने वाली मायावती मुफ्त में ऐसा नहीं कर सकतीं। जाहिर है 'डील' संपन्न हुआ है। कांगे्रस, सरकार और मायावती के इन्कार को देश स्वीकार नहीं करेगा। लोकतंत्र की पवित्र अवधारणा की बखिया उधेडऩे वाले ये लोग जन-प्रतिनिधि कहलाने लायक तो कतई नहीं। ये तो देश व लोकतंत्र के गद्दार हैं। एक-दूसरे को भ्रष्ट कहनेवाले जब हाथ मिलाते हुए एक मंच पर आते हैं, तब निश्चय ही परदे के पीछे अनैतिक 'डील' के बाद ही। यह जनता के साथ विश्वासघात है। लोकतंत्र के साथ विश्वासघात है। भ्रष्टाचार और भयादोहन की इस शासकीय स्वीकृति को जनता कब तक बर्दाश्त करेगी? सत्ता में बने रहने के लिए ऐसी अनैतिकता का सहारा लेना वस्तुत: लोकतंत्र और आम जनता को मुंह चिढ़ाना है। जनता के साथ दगाबाजी के हमाम में कांग्रेस, बसपा ही नहीं, मुलायम की समाजवादी पार्टी और लालू का राष्ट्रीय जनता दल भी नंगे खड़े दिख रहे हैं। ये सभी अवसरवाद और भयादोहन के शिकार बन गए हैं। ये इनका भ्रष्टाचार ही है, जिसका भय दिखा सत्तापक्ष इन्हें अपने काबू में कर लेता है। बिल्कुल एक 'ब्लैकमेलर' की तरह। क्या यह बताने की जरूरत है कि 'ब्लैकमेल' किसका किया जा सकता है और कौन कर सकता है। जनता के साथ ऐसा छल करने वाले चाहे तकनीकी तौर पर जितने पाक-साफ दिखें, भ्रष्ट हैं, बेईमान हैं, गद्दार हैं। नियति चाहे जितना समय ले ले, एक दिन ऐसा आएगा जब गलियों में, सड़क-चौराहों पर इन्हें नंगा कर जनता हिसाब मांगेगी। बात राजनीतिक भयादोहन की हो रही है तब एक उदाहरण देना चाहूंगा। 1969 में जब कांगे्रस दो-फाड़ हुई तब बिहार के एक पूर्व मुख्यमंत्री, दबंग राजनेता कृष्णवल्लभ सहाय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ चले गए थे। सहाय के दाहिने हाथ रामलखन सिंह यादव बिहार में मंत्री थे। रौबदार यादव की तब बिहार में तूती बोलती थी। एक दिन इंदिरा गांधी ने उन्हें दिल्ली बुलाया। बातचीत के दौरान इंदिराजी ने यादव की ओर एक फाइल बढ़ाते हुए कहा कि 'आईबी की एक रिपोर्ट आपके संबंध में आई है...... , इसे देखें।' कहते हैं उस फाइल को देखने के बाद दिल्ली की ठंडक में भी रामलखन यादव के पसीने छूट गए। इंदिराजी का चरणस्पर्श कर यादव पटना वापस लौटे और कृष्णवल्लभ सहाय के साथ अपने संबंध विच्छेद की घोषणा कर दी। उस सहाय के खिलाफ गए यादव, जिन्होंने रामलखन यादव को न केवल राजनीति में लाया था बल्कि अपना विश्वस्त भी बनाया था। साफ है कि राजनीतिक 'ब्लैकमेलिंग' का इतिहास पुराना है।
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4 comments:
आपके इस बिचारोत्तेजक रचना के लिए आपका धन्यवाद / IPL ने इस देश के उच्च पदों पर बैठे लोगों में भ्रष्टाचार और अनैतिक सेक्स के बीमारी को इस तरह बढ़ाने का काम किया है,जिसकी टीस इस देश को हमेशा महसूस होती रहेगी /आपके इस प्रयास के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद / ब्लॉग हम सब के सार्थक सोच और ईमानदारी भरे प्रयास से ही एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित हो सकता है और इस देश को भ्रष्ट और लूटेरों से बचा सकता है /आशा है आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी हैं /
सर ,
आप के लेख हमलोग हमेशा पढ़ा करते हैं . आप से गुज़ारिश है की मीडिया की ताज़ातरीन खबरों के लिए आप हमारे वेबसाइट मीडिया मंच
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लतिकेश
www.mediamanch.com
आप का ब्लाग पढ़कर अच्छा लगा। आप दो पैरा के बीच स्पेस दिया करें तो पाठकों को पढ़ने में सुविधा होगी।
देखिये साहब, ये भारत की नंगी भूखी जनता के साथ बला.... के समान है...
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