राहुल गांधी अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं। हमारा देश पहले मुस्लिम शासकों और फिर अंग्रेजों का गुलाम रहा संभवत: इसीलिए स्वाभिमान नहीं जागता और न ही यह कोई बता पाता है कि इस देश में एक से एक होनहार और बेहतर कार्य करने वाले लोग मौजूद हैं। बस कुछ नहीं, गांधी परिवार के पीछे पीछे चले आओ चाहे वह ज्ञानी हो या अज्ञानी। कौन कहता है भारत में राज तंत्र नहीं है। गांधी परिवार में आज जितने सदस्य हैं उससे बेहतर ज्ञानी तो कई नेता हैं, बेहतर प्रशासक है, बेहतर संचालक हैं लेकिन पता नहीं हमारे देश में एक परिवार की पूजा की परंपरा कब टूटेगी। हमारे पडोसी देश नेपाल तक में राज तंत्र खत्म हो गया लेकिन यहां लोकतंत्र की आड में यह राज तंत्र है। चाहे अर्जुन सिंह कहें या दिग्विजय सिंह या प्रणब मुखर्जी...राहुल गांधी का नाम उछालकर हवा बनाई जा रही है और देख भी लीजिएगा राहुल गांधी चंद साल में इस कुर्सी पर बैठे हुए मिलेंगे। ज्ञान और आयु में काफी अंतर होने के बावजूद हमारे कई वरिष्ठ नेता इस परिवार के छोटे से छोटे सदस्य के चरण छुते हुए मिलते हैं। इन नेताओं ने दुनिया ने सारे चापलूसों को पीछे छोड़ दिया है। चारण भाटों वाली स्थिति है हमारे नेताओं की। हर छोटे से छोटे फैसले और काम के लिए यह कहा जाता है कि सब कुछ जनपथ से होगा तो बताइये की लोकपथ से क्या ? सिफै चमचागिरी...। शायद हमारे देश के नसीब में यही लिखा है जिसे हर कोई स्वीकार करता आ रहा है। इंतजार है उस दिन का जब देश की कमान एक परिवार नहीं बल्कि एक अच्छे इंसान और कुशल प्रशासक के हाथ में होगी।
1 comment:
राहुल गांधी अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं। हमारा देश पहले मुस्लिम शासकों और फिर अंग्रेजों का गुलाम रहा संभवत: इसीलिए स्वाभिमान नहीं जागता और न ही यह कोई बता पाता है कि इस देश में एक से एक होनहार और बेहतर कार्य करने वाले लोग मौजूद हैं। बस कुछ नहीं, गांधी परिवार के पीछे पीछे चले आओ चाहे वह ज्ञानी हो या अज्ञानी। कौन कहता है भारत में राज तंत्र नहीं है। गांधी परिवार में आज जितने सदस्य हैं उससे बेहतर ज्ञानी तो कई नेता हैं, बेहतर प्रशासक है, बेहतर संचालक हैं लेकिन पता नहीं हमारे देश में एक परिवार की पूजा की परंपरा कब टूटेगी। हमारे पडोसी देश नेपाल तक में राज तंत्र खत्म हो गया लेकिन यहां लोकतंत्र की आड में यह राज तंत्र है। चाहे अर्जुन सिंह कहें या दिग्विजय सिंह या प्रणब मुखर्जी...राहुल गांधी का नाम उछालकर हवा बनाई जा रही है और देख भी लीजिएगा राहुल गांधी चंद साल में इस कुर्सी पर बैठे हुए मिलेंगे। ज्ञान और आयु में काफी अंतर होने के बावजूद हमारे कई वरिष्ठ नेता इस परिवार के छोटे से छोटे सदस्य के चरण छुते हुए मिलते हैं। इन नेताओं ने दुनिया ने सारे चापलूसों को पीछे छोड़ दिया है। चारण भाटों वाली स्थिति है हमारे नेताओं की। हर छोटे से छोटे फैसले और काम के लिए यह कहा जाता है कि सब कुछ जनपथ से होगा तो बताइये की लोकपथ से क्या ? सिफै चमचागिरी...। शायद हमारे देश के नसीब में यही लिखा है जिसे हर कोई स्वीकार करता आ रहा है। इंतजार है उस दिन का जब देश की कमान एक परिवार नहीं बल्कि एक अच्छे इंसान और कुशल प्रशासक के हाथ में होगी।
Post a Comment