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Thursday, January 7, 2010

सपा और मुलायम का पिंड छोड़ दें अमर

जब अमर सिंह स्वयं कह रहे हैं कि वे 'फिट' नहीं हैं, तब अविश्वास का कोई कारण नहीं। हां, यह जरूर पूछा जाएगा कि वे किस रूप में फिट नहीं हैं। शारीरिक, मानसिक, राजनीतिक, व्यावसायिक या फिर समाजवादी पार्टी व मुलायम यादव के आस-पास रोज पैदा हो रहे नए समीकरण में 'विसर्ग'। अमर सिंह ने इसका खुलासा नहीं किया। वैसे राजनीति के पंडितों ने यह अवश्य उछाल दिया है कि पार्टी में दिनोंदिन अपनी कमजोर होती स्थिति के कारण मुलायम पर दवाब बनाने के लिए उन्होंने इस्तीफे का पासा फेंका है। अमर पार्टी और मुलायम परिवार में अपनी पुरानी हैसियत की वापसी चाहते हैं। क्यों चाहते हैं, क्या इसे बताने की जरूरत है?
सभी जानते हैं कि अमर सिंह राजनीति से अधिक अपने व्यावसायिक हित को ज्यादा तरजीह देते हैं। दूसरे शब्दों में वे राजनीति करते हैं, अपना व्यावसायिक हित साधने के लिए। सन् 2006 के उन दिनों को याद करें जब अमर सिंह की एक सीडी को लेकर पूरे देश में हंगामा बरपा था। लगभग दो घंटे की उस आडियो-सीडी को मैंने सुना है। भारतीय राजनीति, पत्रकारिता, सामाजिक सरोकार, उद्योग, न्यायिक प्रणाली पर उस सीडी में की गई टिप्पणियों में वर्तमान सरोकारों का एक अकल्पनीय खाका खींचा गया है। मूल्य, आदर्श, सिद्धांत, ईमानदारी, प्रतिबद्धता, समर्पण आदि उक्त सीडी की बातचीत में नग्न और सिर्फ नग्न किए गए थे। अमर सिंह की बातचीत चाहे मुलायम यादव से हो या फिर उद्योगपति अनिल अंबानी, बिपाशा बसु, जयाप्रदा, पत्रकार प्रभु चावला सहित कोलकाता के व्यवसायी और कुछ अन्य लोगों के साथ हो, सभी में देश के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रष्टाचार और दलाली की बेशर्म मौजूदगी थी। गनीमत है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर उक्त सीडी का प्रसार रोक दिया गया, अन्यथा वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था से पूरे देश का विश्वास उठ जाता। घृणा करने लगते लोग, आज की राजनीति से और आज के राजनीतिकों से। वही अमर सिंह जब आज दबाव की राजनीति का खेल खेलना चाहते हैं तब उनकी बेशर्मी पर किसी को शर्म आए भी तो कैसे? हतप्रभ हैं सभी। अमर सिंह न केवल देश की राजनीतिक व्यवस्था को भ्रष्ट करने के एक बड़े अपराधी हैं, बल्कि राममनोहर लोहिया के शिष्य मुलायम सिंह यादव को पतन के गर्त में धकेलने के भी दोषी हैं। यह कृत्य वैसे अक्षम्य अपराध की श्रेणी का है, जहां दंडित को अंतिम समय में पानी से भी वंचित रखा जाता है। मुलायम यादव कभी सचे अर्थ में लोहिया की विरासत को झंडाबरदार माने जाते थे। समाजवादी आंदोलन के निष्कपट पुरोधा के रूप में उनकी पहचान थी। देश उनकी ओर आशा की दृष्टि से देखा करता था। वह मुलायम अगर भ्रष्ट-पतित हुए, परिवार समाज की नजर में ही नहीं स्वयं अपनी नजर में भी गिरे तो अमर सिंह के कारण। यह एक ऐसा कड़वा सच है, जिसे यहां इसलिए उद्धृत कर रहा हूं ताकि भविष्य में कोई अपना हित साधने के लिए मुलायम जैसे समाजवादी का भविष्य अंधकारमय बनाने की कोशिश न करे। पीड़ा तो हो रही है इस सच को उगलने में किंतु जब भारत के एक 'भविष्य' को हाशिए पर डाल दिया गया तब ऐसा करने वाले चेहरे को बेनकाब तो किया ही जाना चाहिए।
सभी जानते हैं कि मुलायम व समाजवादी आंदोलन पर ग्रहण लगा तो अमर के कारण। उन्हें बिल्कुल ठीक ही कोने में फेंक दिया गया। किंतु वही अमर जब फिर जाल बुन मुलायम को कब्जे में करने की कोशिश कर रहे हैं तब प्रतिरोध जरूरी है। बेहतर हो 'अनफिट' अमर सिंह स्वास्थ्य लाभ के लिए स्थायी रूप से राजनीति से संन्यास ले लें। समाजवादी पार्टी और मुलायम का पिंड छोड़ दें।

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