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Wednesday, March 3, 2010

मुगालते में न रहें मकबूल फिदा हुसैन!

किस मुगालते में हैं पेंटर एम.एफ. हुसैन? स्वयं को बहलाना एक बात है, संसार को बेवकूफ बनाना दूसरी। मुस्लिम देश कतर की नागरिकता स्वीकार कर इतराते हुए हुसैन कह रहे हैं कि ''कतर में मैं पूरी आजादी का आनंद ले रहा हूं, यहां मेरी अभिव्यक्ति की आजादी पर किसी का अंकुश नहीं है।'' किस अभिव्यक्ति की आजादी की बात कर रहे हैं हुसैन? चुनौती है उन्हें कि जिस संयुक्त अरब अमीरात के कतर की नागरिकता उन्होंने स्वीकार की है, वहां के पूजनीय किसी देवता का नग्न-अश्लील चित्र बनाकर दिखाएं। अभिव्यक्ति की 'आजादी' की हकीकत उन्हें तुरंत नजर आ जाएगी। वहां के शासक, वहां के लोग उनके टुकड़े-टुकड़े काटकर समुद्र में फेंक देंगे। कोई नामलेवा भी नहीं रहेगा। हिम्मत है तो ऐसा कर दिखाएं। लेकिन कायर हुसैन ऐसा नहीं कर पाएंगे। हुसैन कहते हैं कि ''भारत मेरी मातृभूभि है, मैं अपनी मातृभूमि से घृणा नहीं कर सकता, लेकिन भारत ने ही मुझे खारिज कर दिया।'' बकवास कर रहे हैं हुसैन। भारत ने उन्हें खारिज नहीं किया। हुसैन ने ही भारत को खारिज किया। भारत का अपमान किया। भारत उनकी मातृभूमि है तो फिर उन्होंने भारत माता का नग्न-अश्लील चित्र बनाकर अपनी 'मां' का अपमान क्यों किया? भारत में हिन्दू देवी-देवताओं के रतिक्रिया-लिप्त अश्लील चित्र बनाने वाले हुसैन क्या कतर में वहां के आराध्यों के नग्न-अश्लील चित्र बनाएंगे? यह भारत देश ही है जिसने उन्हें यश और धन दिया। हुसैन तो नमक हराम निकले! झूठे भी हैं वो। भारत के बुद्धिजीवियों और कलाकारों पर आरोप लगा रहे हैं कि जब उन पर कथित दक्षिणपंथी ताकतें हमला कर रही थीं तब इस वर्ग ने उनका साथ नहीं दिया। मकबूल फिदा हुसैन, लगता है आप अपनी स्मरणशक्ति भी गंवा बैठे हैं। अरे, वह तो भारत के बुद्धिजीवी कलाकार ही थे जिन्होंने अपने 'चरित्र' के अनुरूप हुसैन का साथ दिया। आम जन क्रोधित थे, विरोध कर रहे थे। विरोधियों ने अदालत की शरण ली। कानून का सहारा लिया, उन पर हमले नहीं किए। यही तो है अनुकरणीय भारतीय संस्कृति। अगर हुसैन स्वयं को पाक साफ समझते थे तब उन्हें अदालत में हाजिर होकर कानूनी लड़ाई लडऩी चाहिए थी। परंतु एक अपराधी, वह भी कायर, सच का सामना करता भी तो कैसे? भाग गए हुसैन, भागकर पहुंचे एक कट्टर मुस्लिम क्षेत्र में। भारत माता सहित हिन्दू देवी-देवताओं के अश्लील चित्र बनाने वाले मकबूल फिदा हुसैन को तो वहां शरण मिलनी ही थी। हुसैन इस सच को स्वीकार करें, बकवास नहीं करें।
हुसैन का नया अवतार भारत के बुद्धिजीवियों का भी मुंह चिढ़ा रहा है। जब हुसैन ने भारत की बहुसंख्यक आबादी की आस्था और धार्मिक भावना पर चोट पहुंचाई थी, तब हमारे बुद्धिजीवी-कलाकार हुसैन के समर्थन में सड़कों पर निकल पड़े थे- अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर। अब क्या कहेंगे वे? एक और ताजा घटना आंखें खोल देने वाली है। बच्चों के एक पाठ्यपुस्तक में जिसस क्राइस्ट की एक तस्वीर छपी जिसमें उनके एक हाथ में सिगरेट और दूसरे हाथ में बीयर का डब्बा दिखाया गया। यह एक अत्यंत ही आपत्तिजनक कृत्य है। हम इसकी कड़े शब्दों में भत्र्सना करते हैं। इसके प्रकाशक और चित्रकार को तत्काल दंडित किया जाना चाहिए। क्रिश्चियन बहुल मेघालय के साथ-साथ देश के कुछ अन्य भागों में बवाल खड़ा हो गया। क्रोधित लोगों पर काबू पाने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा- कफ्र्यू लगाना पड़ा। मेघालय में पुस्तक प्रकाशक के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हुआ। पुस्तक तो तत्काल वापस ले ही ली गई, प्रकाशक की गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू हो गई। प्रकाशक के समर्थन में अभिव्यक्ति की आजादी का तर्क देते हुए कोई बुद्धिजीवी कलाकार सामने नहीं आया! क्या सिर्फ इसालिए नहीं कि मामला हिन्दू देवी-देवताओं का न होकर जिसस क्राइस्ट का है। बिल्कुल यही बात है। यह भारत देश ही है जहां बहुसंख्यक हिन्दुओं की सहनशीलता, धैर्य और संयम बार-बार चोटिल होते रहते हैं। अल्पसंख्यक समुदाय तो मुदित होते ही रहेंगे।

15 comments:

दीपक 'मशाल' said...

Khari baat.. aabhar..
asal me Bharat me koi secular hai kahan.. bas sab apne swarth ke liye secular shabd ka durupyog kar rahe hain.. koi vote ke liye, koi power to koi paise ke liye..

Randhir Singh Suman said...

nice

राजीव रंजन प्रसाद said...

हुसैन को ले कर कोई मुगालता नहीं है। संभवत: हम उसे जरूरत से ज्यादा तूल दे रहे हैं।

वस्तुस्थिति यह है कि अभिव्यक्ति और आजादी का असल मजा तो उसने भारत में लिया है। भारत के गृह मंत्री आज भी उसे सुरक्षा देने की बात करते हैं लेकिन मैं स्तब्ध हूँ कि उसे आखिर मारा किसने? उसपर कब हमला हुआ? उसे अदालत अवश्य ले जाया गया पर उसमें हर्ज क्या है? कानून व्यवस्था पर तो सबको यकीन होना चाहिये (वामपंथियों को भी?)

मजेदार बात यह है कि उसके स्वेच्छा से देश छोडने को ले कर हो हल्ला मचा हुआ है। हुसैन के लिये जब यह देश मायने नहीं रखता तो उस पर लगे सारे आरोप स्वत: सिद्ध हो जाते हैं और उसके लिये रखी सही इज्जत भी नहीं रहती।

अब तो खैर वह विदेशी है। हाँ औरों की तरह मैं भी देखना चाहूंगा कि कतर में वह कोई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुजाहिरा कर दिखायें। मुस्लिम प्रतीकों की बात तो दूर है किसी मुस्लिम महिला की ही वैसी तस्वीर बना कर दिखायें जैसा वह भारत में ताल ठोंक कर बनाता रहा है।

अनुनाद सिंह said...

ये रंगा शियार पहचान लिया गया। अब कोी भ्रम नहीं रहा।

Arun sathi said...

काफी उत्प्रेरक और जगृत करने वाला...
बहुत सुन्दर रचना समाज को प्रेरित करने वाला।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

एक के मुगालते में रहने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता मगर दिक्कत यह है कि इस देश में बहुत से एम्. ऍफ़ हुसैन है !

संजय बेंगाणी said...

क्या खुब लिखा है. सही और खरा.

Kirtish Bhatt said...

बेहतरीन
और राजीवरंजन जी की बात से सहमत.

drdhabhai said...

आपको तो लेखक की जगह सर्जन होना चाहियें....क्या धांसु चीरफाङ करते हैं....बहुत ही धारधार लेखनी....

Anand G.Sharma आनंद जी.शर्मा said...

म.फ.हुसैन नाम की गंदगी पे जितनी बार पत्थर मारेंगे उतनी ही बार उस गंदगी के छींटे चारों तरफ बिखरेंगे (मुफ्त का प्रचार होता है) l गंदे लोगों पर बार बार लिख कर अपनी पवित्र लेखनी का अनादर ठीक नहीं है l

Gyan Darpan said...

इस खूसट के बारे में बढ़िया चीर फाड़ करी आपने |

सागर नाहर said...

एक घटिया इन्सान के लिये लेख लिखना मतलब, शब्दों और समय की बर्बादी।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

विनोद साहब, आपने बराबर सही बात की. आईना दिखाना जरूरी है, इसलिये इस मकबूल पर समय खराब करना आवश्यक है.

Mithilesh dubey said...

क्या लिखा है आपने , इक दम सही बात ।

ePandit said...

हुसैन एक आम चित्रकार है, लाइमलाइट में आने के लिये उसने इस तरह के हथकण्डों का सहारा लिया। कभी देवियों के नग्न चित्र बनाकर तो कभी माधुरी के दीवानेपन का ढोल पीटकर प्रसिद्धि हासिल की, वरना उससे पहले उसे कौन जानता था। एक तो दूसरों की भावनाओं को आहत किया ऊपर से धौंस जमाता है कि अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है, इस तरह के नग्न चित्रों को कला बताता है। अरे यदि नग्न चित्र बनाकर ही कला दिखानी थी तो हिन्दू देवी-देवता ही क्यों, क्या इसलिये कि हिन्दू समाज सहिष्णु है। सहिष्णु है तो चाहे जैसे उसका अपमान कर दो। नंगे चित्र बनाकर कला दिखानी थी तो अपने धर्म के आराध्यों के चित्र बनाकर क्यों न दिखायी? तब तो डर रहा होगा कि मुल्ला उसकी मुण्डी काटने का फतवा जारी कर देंगे।

अब मुकदमें के डर से कतर भाग गया है। वतन से प्यार होता तो ऐसे छोड़ देता वतन को? हुसैन झूठा, मक्कार और पाखण्डी है, भारत ने उसको इज्जत दी पैसा दिया और कहता है कि भारत ने उसे खारिज किया, ये कृतध्नता और गद्दारी नहीं तो और क्या है। अरे उसने भारत को खारिज किया, माँ के समान भारत माता का नग्न चित्र बनाया, उसकी अपनी माता अब जीवित नहीं वरना शायद उसका भी नग्न चित्र बनाकर उसे कला बता देता। हुसैन देशद्रोही है, अपनी मातृभूमि का अपमान किया और कथित बुद्धिजीवी (जिनमें एक आने की भी बुद्धि नहीं लगती) उसके लिये रोये जा रहे हैं।