बड़बोले राज ठाकरे आज होने वाले महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव के मतदान को लेकर उत्साहित हैं। मीडिया के एक वर्ग ने उन्हें 'किंग मेकर' के रूप में बड़ा उछाला कि उनकी महत्वकांक्षाएं सातवें आसमान पर पहुंच गयीं। कानून को ठेंगा दिखाने की उनकी आदत पुरानी है। जब कभी उन्हें मौका मिला कानून और संविधान का मज़ाक उड़ाने से नहीं चूके। मुंबई में उत्तर भारतियों के विरूध्द अभियान चलाकर सस्ती लोकप्रियता बटोरने वाले राज ठाकरे यह भूल जाते हैं कि उनकी हरकतें वस्तुत: मवाली सरीखा है। जिस मीडिया ने आज उन्हें किंग मेकर निरूपित किया है वही मीडिया पिछले दिन उनकी हरकतों को गुंडागर्दी बता चुका है। समाज में क्षेत्रीय घृणा फैला कर राजनीति करने वाले राज ठाकरे किसी भी कोण से सभ्य नहीं माने जायेंगे। अपने चाचा शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे के चरणों में बैठे राजनीति का गुर सीखने वाले राज ठाकरे जब स्वमं बाल ठाकरे व उनके पुत्र अर्थात अपने भाई उध्दव ठाकरे के खिलाफ विष-वमन करने लगे हैं। जब इन के 'चरित्र' पर कुछ कहने की आवश्यकता शेष नहीं रह जाती। खबरों में बने रहने के लिए और संभवत: अपने हुल्लड़बाज़ अनुयायियों को अपने साथ बनाये रखने के लिए राज बेतुकी बातें करने के आदी हो गये प्रतीत होते हैं। शायद इसी लिए ऐन मतदान के मौके पर वे यह बोल गये कि उनके खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या चाहे सौ का आंकड़ा क्यों न प्राप्त करले वे मराठी माणुस के मुद्दे का त्याग नहीं करेंगे। भूमि पुत्रों के हक में बातें कोई गुनाह नहीं है। ऐसा देश के अन्य भागों में भी होता रहा है किन्तु मुम्बई छोड़ देश के किसी अन्य क्षेत्र में स्थानीय के पक्ष में बाहरी पर हिंसक हमलों की बातें तो छोडिये उन्हें कभी अपमानित भी नहीं किया गया। एंव प्रदेश से दूसरे प्रदेश में बसे लोग शांतीपूर्वक अपना कार्य इस लिए कर पाते हैं कि उन्हें स्थानीय लोगों का स्नेह समर्थन प्राप्त है। मुम्बई में लाखों की संख्या में देश के प्राय: हर भाग से लोग आकर बसे हैं। पहले हम बड़ों की ही बातें कर लें। प्राय: सभी बड़े औद्योगिक घरानों के मालिक तथा संचालक प्रदेश से बाहर के हैं। स्थानीय की संख्या नगण्य है। राज ठाकरे और उनके हुड़दंगी अनुयायी इन घरानों को निशाना क्यों नहीं बनाते?
कारण बताने की ज़रूरत नहीं राज ठाकरे के पास इतनी हिम्मत है ही नहीं जिस दिन उन्होंने ऐसा करने की जुर्रत दिखाई राज ठाकरे एंड कंपनी की दुकानदारी बंद हो जायेगी। मराठी माणुस के पक्ष में गुनाह दर गुनाह करने को तैयार राज ठाकरे निशाने पर लेते हैं, छोटे, गरीब लोगों को जो मूलत: उत्तर भारत से आकर बसे हैं वे या तो दिहाड़ी पर काम करने वाले हैं या फिर छोटे मोटे रोज़गार कर अपना भरण पोषण करते हैं। टैक्सी, ऑटो रिक्षा चालक, दूध का व्यवसाय करने वाला वर्षों से मुम्बई में बसा यह वर्ग वस्तुत: मुम्बई की दैनंदिन जिंदगी का वाहन है। इनके विरूध्द हिंसक कार्रवाई कर राज ठाकरे किसी बहादुरी का परिचय नहीं दे रहे, बल्कि घोर कायरता का प्रदर्शन कर रहे हैं राज ठाकरे। मुंबई हो या कोलकाता हो, दिल्ली हो, चेन्नई हो या देश का अन्य कोई शहर सभी भारत देश के भाग हैं। भारत के हर नागरिक को कहीं भी किसी भी जगह जाकर बसने और काम काज करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। राज ठाकरे या किसी भी मुम्बईवासी को तो इस बात का गर्व होना चाहिये कि उनका शहर देश के जरूरतमंद को पनाह देता है, उनका पालन-पोषण करता है। अगर राजनीति ही करनी है तो राज ठाकरे इन लोगों को साथ लेकर राजनीति करे। उनके प्रभाव क्षेत्र में वृध्दि होगी, समर्थकों की विशाल फौज उनके लिए स्थाई कवच की भूमिका निभायेंगे। बेहतर हो राज ठाकरे ऐसी सकारात्मक सोच को अपनायें नकारात्मक सोच से परहेज़ करें।
1 comment:
Bahut behtar kaha hai aapne..Raj Bade Ghrano ko nosaba nahi bana sakta..uski dukandari band ho jayegi....Garibo ki jhopdi me aag lagakar sabhi apni rotiya sektein hai....Raj bhi vahi kar raha hai...
Post a Comment