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Friday, June 4, 2010

झूठ बोला था, झूठ बोल रहे हैं

आईपीएल नीलामी और शरद पवार से जुड़े सनसनीखेज नए खुलासे के बाद भी पवार का अपने पुराने कथन पर अडिग रहना चोरी और सीनाजोरी का शर्मनाक मंचन ही तो है! वैसे अब कोई किसी राजनीतिक (पालिटिशियन) से सचाई, ईमानदारी, नैतिकता की अपेक्षा भी नहीं करता। लेकिन जब देश के शासक बने बैठे ये लोग हर दिन बेशर्मी के साथ झूठ, बेइमानी, छल-फरेब के पाले में दिखें तब इन पर अंकुश तो लगाना ही होगा। अन्यथा एक दिन ये पूरे देश को ही नीलाम कर डालेंगे। अगर इन्हें बेलगाम छोड़ दिया गया तो ये देश के अस्तित्व के लिए ही खतरा बन जाएंगे।
ताजा खुलासे के अनुसार आईपीएल की पुणे फे्रंचाइजी के लिए सिटी कार्पोरेशन की ओर से इसके प्रबंध निदेशक ने बोली लगाई थी। सिटी कार्पोरेशन में केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार, उनकी पत्नी और बेटी की हिस्सेदारी है। क्या यह इस बात को प्रमाणित नहीं करता कि आईपीएल की पुणे फे्रंचाइजी की बोली में पवार और उनके परिवार के सदस्य परोक्ष रूप से शामिल थे? लेकिन पवार पहले की तरह अब भी यही राग अलाप रहे हैं कि आईपीएल से उनका और उनके परिवार का कोई लेना-देना नहीं है। पिछले अपै्रल माह में भी पवार और उनके परिवार की ओर से ऐसा ही दावा किया गया था। अब नए खुलासे के बाद कंपनी के प्रबंध निदेशक से कहलवाया जा रहा है कि फें्रचाइजी के लिए कंपनी की ओर से बोली लगाने का फैसला उनका निजी था, कंपनी के किसी अन्य डाइरेक्टर का इससे कोई संबंध नहीं। प्रबंध निदेशक अनिरुद्ध देशपांडे सहमे हुए भाव में, देश की जनता की समझ को चुनौती देते हुए, बता रहे हैं कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से फ्रेंचाइजी की बोली लगानी थी किन्तु टेंडर प्राप्ति की तिथि बीत जाने के कारण वे ऐसा नहीं कर पाए। अत: उन्होंने कंपनी के नाम से पहले लिए गए टेंडर पेपर का इस्तेमाल किया। क्या देशपांडे के इस तर्क पर आप विश्वास करेंगे? कोई बेवकूफ भी नहीं करेगा। अगर सिटी कार्पोरेशन की दिलचस्पी बोली में नहीं थी तब पहले टेंडर पेपर क्यों खरीदे गए थे? क्या कोई कंपनी अपने नाम पर जारी टेंडर पेपर का इस्तेमाल किसी निजी व्यक्ति को करने के लिए दे सकती है? क्या नीलाम करने वाली संस्था, इस मामले में आईपीएल, किसी दूसरे के नाम पर जारी टेंडर पेपर का इस्तेमाल करने की अनुमति किसी तीसरी पार्टी को दे सकती है? जाहिर है कि सिटी कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक अनिरुद्ध देशपांडे, केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। कारण स्पष्ट है। अगर थोड़ी देर के लिए देशपांडे की बात को सच मान लिया जाए तब क्या वे बताएंगे कि जब अप्रैल माह में पवार व उनके परिवार पर आरोप लगे थे, तब उन्होंने ऐसी सफाई क्यों नहीं दी थी? तब वे मौन क्यों रह गए थे? आज जब अंग्रेजी दैनिक 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने सिटी कार्पोरेशन में शरद पवार और उनके परिवार के सदस्यों के शेयर होने की बात का खुलासा किया, हंगामा बरपा, तब उन्होंने मुंह क्यों खोला? तब शरद पवार और उनकी सांसद बेटी सुप्रिया सुले ने भी आईपीएल नीलामी से किसी भी तरह के जुड़ाव से साफ इन्कार किया था। अब पवार अपने 'पावर' का इस्तेमाल कर चाहे तो मामले को एक बार फिर दफनाने में सफल हो जाएं किन्तु देश ने उनके झूठ को पकड़ लिया है। राजनीति में नवअंकुरित अपनी बेटी सुप्रिया को भी अपने झूठ में शामिल कर पवार ने राजनीति में नैतिकता के पतन का एक अशोभनीय, निंदनीय प्रमाण पेश कर डाला है। देश के प्रधानमंत्री पद के दावेदार का ऐसा आचरण!

4 comments:

संजय पाराशर said...

muze b samaz me nhi aata ki ye aakhir kb trapt honge.... inko to chahie ki desh ke samne udaharan prastut kre sahaj saral imandar hokr desh seva krne ka. aapki post krantikari hai.

अजित गुप्ता का कोना said...

शरद पंवार ने पहले तो मंहगाई बढ़ाकर देश को लूटा था अब उस पैसे को क्रिकेट में लगना चाह रहे होंगे। इस देश का दुर्भाग्‍य है कि छोटी-छोटी बातों का बतंगड बनाने वाले पत्रकार शरद पंवार के कृत्‍य को कैसे माफ किए जा रहे हैं?

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

ये पुराने कांग्रेसी है !

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

एक राजनीतिबाज जिसकी औकात चार पैसे की नहीं होती, राजनीति (फिर चाहे वह ग्राम प्रधान ही क्यों न बन जाये) कैसे करोड़पति बन जाता है.. जाहिर है घपलों से.... फिर ये लोग तो करोड़पति अरबपति हैं..