Monday, March 9, 2009
नापाक पाकिस्तानी हाथ, गलीच जुबान...!
पाकिस्तान के नापाक हाथों द्वारा गंदगी उंड़ेलने की घटना तो आम है ही, उसकी जुबान भी इन दिनों गलीच उगलने लगी है. भारत इन्हें बर्दाश्त कर रहा है तो संयम बरतने की अपनी नीति के कारण. लेकिन पाकिस्तान है कि इसे हमारी कमजोरी समझ बार-बार उकसाता रहता है. यह भूलकर कि जिस दिन पानी सिर के ऊपर से बहने लगेगा, उस दिन संभवत: पाकिस्तान अपना अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में उलझ कर रह जाएगा. इस बार तो उसने हद ही कर दी. पाकिस्तान में श्रीलंकाई टीम पर खूनी हमले के लिए उनके भूतपूर्व आईएसआई प्रमुख हामिद गुल ने भारत को दोषी करार दिया है. या तो हामिद गुल अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं या फिर वे पाकिस्तान के किसी नापाक मंसूबे के ध्वजवाहक की भूमिका निभा रहे हैं. पिछले साल मुंबई पर आतंकी हमले में पाकिस्तानी हाथ की बात प्रमाणित हो चुकी है. विश्व समुदाय के दबाव के बाद स्वयं पाकिस्तान यह मान चुका है. फिर हामिद गुल ने श्रीलंकाई क्रिकेट टीम के सदस्यों पर हुए कायराना हमले के लिए भारत को दोषी क्यों ठहराया? शायद ऐसा कर वे विश्व समुदाय का ध्यान मुंबई हमले के अपराधियों की ओर से हटाना चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान यह न भूले कि भारत मुंबई हमले के दोषियों को सजा दिलाने के अभियान को तार्किक परिणति तक पहुंचाने के लिए कटिबद्ध है. क्या इस 'परिणति' का अर्थ समझाने की जरूरत है? भारतीय क्रिकेट टीम ने खुफिया जानकारियों के बाद पाकिस्तान का दौरा स्थगित कर दिया था. श्रीलंका क्रिकेट टीम के अधिकारियों ने घोर लापरवाही दिखाते हुए अपनी ओर से पाकिस्तान यात्रा की पेशकश कर दी थी. अंजाम सामने है. पाकिस्तान तो स्वउत्पादित भस्मासुर का शिकार है. इस बात को वह स्वीकार भी कर चुका है कि उसके कई क्षेत्रों पर तालिबान अर्थात् आतंकियों के जनक का कब्जा है. इससे अपने अस्तित्व पर खतरे की बात भी पाकिस्तानी शासक स्वीकार कर चुके हैं. फिर उन्होंने आतंकी हमले के लिए भारत पर उंगलियां क्यों उठाईं? आतंकवाद से लडऩे की जगह भारत पर इसका दोष मढऩे का उसका नया पैंतरा काम नहीं आएगा. आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान विश्व के सामने नग्न खड़ा है. आवरण या परिधान चाहिए तो वह जेहाद बोले आतंकवादियों के खिलाफ और दोस्ती का हाथ बढ़ाए भारत की ओर. 'दोस्त भारत', पाकिस्तान का उद्धार कर सकता है जबकि 'दुश्मन पाकिस्तान', भारत का कुछ बिगाड़ नहीं सकता. इस शाश्वत सत्य को पाकिस्तानी शासक अपने दिलों में संजो कर रखें अन्यथा पाकिस्तानी अस्तित्व की समाप्ति के लिए कोई और नहीं, दोषी वे स्वयं होंगे.
4 मार्च 2009
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