Saturday, March 21, 2009
झूठ का 'पाठ', झूठ का 'मंचन'!
एक छोटी स्कूली बच्ची के हाथों में पुस्तक थमा 'झूठ' का पाठ! यह अकल्पनीय है, असहनीय है, अक्षम्य है. अपराधी हैं उसके अभिभावक. अपराधी हैं प्रायोजक जिन्होंने अपने टेलीविजन कार्यक्रम में उस बच्ची को एक पूर्व नियोजित 'दुर्घटना' का 'पात्र' बना बिठा दिया था. इस उम्र में जबकि उसे सच बोलने के महत्व को बताया जाना चाहिए था, उसे झूठ बोलने के लिए तैयार किया गया. यह पाप है. और पापी हैं उसके अभिभावक. भविष्य में बड़ी होकर शायद ऐसा भी अवसर आ सकता है, जब यह लड़की अपने अभिभावक से पूछेगी कि 'मम्मी-पापा आपने मुझे झूठ बोलना क्यों सिखाया.' तब निरुत्तर अभिभावक निश्चय ही अपराध बोध के बोझ तले कुचल जाएंगे. बिरादरी मुझे क्षमा करेगी, मीडिया ने एक बार फिर अपने ऊपर अविश्वस नीयता की काली चादर ओढ़ ली. इस पूरी प्रक्रिया में सौम्य, शांत, सभ्य नागपुर शहर की प्रतिष्ठा को भी नंगा करने की कोशिश की गई. वह भी कहां? पवित्र विधान भवन परिसर में! ऐसा नहीं होना चाहिए था. 'स्टार न्यूज चैनल' के पत्रकार-अधिकारी बड़ी चूक कर बैठे. आम चुनाव की गहमागहमी के बीच उम्मीदवारों को आमने-सामने खड़ा कर न्यूज चैनल ऐसे कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं. लेकिन यह समझ से परे है कि नागपुर के मामले में चैनल ने उतावलापन क्यों दिखाया? अभी तो इस क्षेत्र से, अगर प्रमुख दलों की ही बात करें तो कांग्रेस ने उम्मीदवार की घोषणा भी नहीं की है. भारतीय जनता पार्टी ने अवश्य बनवारीलाल पुरोहित को अपना उम्मीदवार घोषित कर डाला है. कांग्रेस की ओर से विलास मुत्तेमवार के पक्ष में उम्मीदवारी की संभावना जताई जा रही है, लेकिन पार्टी की ओर से अधिकृत घोषणा अभी भी नहीं हुई है. तब भाजपा के घोषित उम्मीदवार के मुकाबले कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार को खड़ा कर कार्यक्रम के आयोजन का औचित्य? मीडिया में बिल्कुल ठीक ही इस 'जल्दबाजी' पर बहस चल पड़ी है. चैनल के एंकर ने कार्यक्रम के विषय पर 'होमवर्क' भी ठीक से नहीं किया था. कार्यक्रम के लिए विषय रखा गया था - 'प्रधानमंत्री कौन?' फिर एक निहायत स्थानीय मुद्दा 'विद्युत में कटौती' अर्थात् 'लोडशेडिंग' से संबंधित सवाल क्यों पूछे गए? कार्यक्रम को नाटकीय बनाने के लिए उस बच्ची को पहले से किताब थमा क्यों बिठाया गया? बच्ची से कहलवाया गया कि चूंकि उसके घर में बिजली नहीं है, वह 'लाइट' देख पढऩे के लिए किताब लेकर यहां चली आई. नागपुर शहर की छोडि़ए, आयोजकों ने अति उत्साह में कार्यक्रम को ही हास्यास्पद बना डाला. उन्होंने बच्ची के पाश्र्व को जानने की जरूरत नहीं समझी. धनाढ्य परिवार की उस बच्ची के घर में लोडशेडिंग के विकल्प के रूप में जनरेटर/इनवर्टर आदि मौजूद हैं. उसके घर में कभी अंधेरा नहीं रहता. उस स्कूली बच्ची के पास मोबाइल फोन भी है. कार्यक्रम में 'किरदार' बनने के लिए वह लाखों रुपए मूल्य की आलीशान गाड़ी में बैठकर आई थी. तब इसे अगर पूर्व नियोजित 'कार्यक्रम' निरूपित किया जा रहा है तो गलत क्या? मुद्दे को विस्तार भी दिया जाए तो यह मालूम होना चाहिए कि विद्युत आपूर्ति राज्य सरकार का मुद्दा है, न कि केन्द्र सरकार का. विलास मुत्तेमवार केंद्रीय मंत्री हैं. हां, स्थानीय सांसद के रूप में यहां के मतदाता के प्रति उनकी जिम्मेदारी अवश्य बनती है. तथापि 'कौन बनेगा प्रधानमंत्री' से नागपुर की लोडशेडिंग का क्या संबंध? अतिथि दर्शक के रूप में जिन लोगों को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था, वे सभी कार्यक्रम की अशोभनीय परिणति से खिन्न हैं. शोरशराबे और धक्कामुक्की को ही अगर अपने दर्शकों को दिखाना था तो चैनल वालों को 'कौन बनेगा प्रधानमंत्री' जैसे गंभीर विषय की आड़ नहीं लेनी चाहिए थी. पूरे देश के दर्शक 'कौन बनेगा प्रधानमंत्री' पर कोई बहस तो देख-सुन नहीं पाए, हां, उन्होंने सभ्य नागपुर का एक प्रायोजित असभ्य चेहरा जरूर देखा. यह निंदनीय है. बेहतर हो, न्यूज चैनल भविष्य में ऐसी भूल की पुनरावृत्ति न करें.
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2 comments:
सच का साथ देने वाले बचे ही कितने हैं?
बिल्कुल ठीक कहा आपने कि जब उसे सच का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए तब उससे झूठ का सहारा लिया जा रहा है। लेकिन इसमें किसी को दोष देना ठीक नहीं है, यह समय का फेर है। मौजूदा समय में सच का साथ देने वाले और उस पर अपने को न्योछावर कर देने वाले बचे ही कितने हैं। नकली और बनावटी हंसी सबकी पोल खोल रही है, लेकिन सब कुछ सहन किए जाने को हर कोई विवष है।
कुलदीप शर्मा
desh ka journalisn kidhar ja raha hai. esa sir ne bataya hai. aisia likhne ka sahas kam log kar te hai.
sunil raaj
chief reporter
i next patna
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