('दैनिक 1857'के दिनांक 6 नवंबर 2009 के प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित हुई मुख्य खबर)
नईदिल्ली। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के यहां छापे में खूब माल मिल रहा है। 4000 करोड़ रूपये की काली कमाई का अनुमान लगाया जा रहा है। मधुकोड़ा निर्दलीय थे और केन्द्र में यूपीए-1 की सरकार थी, जिसमें लालू का बहुत प्रभाव था। उन्होने कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके एक सलाहकार को समझाकर मधु कोड़ा को उस समय झारखंड का मुख्यमंत्री बनवा दिया। राज्य में लालू की पार्टी राजद, कांग्रेस तथा झामुमो ने समर्थन देकर कोड़ाको मुख्यमंत्री बनवाया। भाजपा को रोकने के लिए निर्दलीय कोड़ा को मुख्यमंत्री बनाया गया था। मुख्यमंत्री बनने के बाद लगभग दो साल में कोड़ाने जितनी काली कमाई किया वह आज सबके सामने है। कहा जाता है कि कोड़ा ने मुख्यमंत्री बने रहने के लिए अपने दो संरक्षक नेताओं को एक साल में लगभग 1000 करोड़ रूपए चढ़ावा चढ़ाया था। चर्चा है कि उनमें से एक, कांग्रेस का एक महासचिव और दूसरा बिहार की एक पार्टी का प्रमुख है। सूत्रों के मुताबिक यदि कोड़ा एक छोटे से राज्य का लगभग 2 साल मुख्यमंत्री रहते इतना कालाधन बना सकते हैं तो बड़े राज्यों में जो 5 साल से मुख्यमंत्री हैं या रहे हैं वे कितना कालाधन कमाए होंगे, यदि कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, हरियाणा ,उ.प्र., महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बीते 10 साल में जो भी मुख्यमंत्री रहे हैं उनका मुख्यमंत्री बनने के पहले और उसके बाद का आमदनी का स्रोत का पता लगाया जायगा तो उनमें से कुछ के यहां मधु कोड़ा से 10 गुना तक काला धन निकल सकता है। खुफिया सूत्रों का कहना है कि कोड़ा तो एक छोटे से नजीर हैं। बड़े-बड़े मगरमच्छों पर तो कोई हाथ ही नहीं डाल रहा है। हाथ डालने पर सरकार गिर जाएगी। कुछ लोगों का कहना है कि कोड़ा के यहां छापे तो इस लिए मारे जा रहे हैं कि वह झारखंड विधान सभा चुनाव में 81 में से 50 से 55 सीटो पर प्रत्याशी खड़े नहीं करें। ऐसा करके वह फिर 10 से पन्द्रह सीटों पर निर्दलियों व अपने लोगों को जीता कर फिर समर्थन के बदले मुख्यमंत्री बनने की मांग करेंगे। कांग्रेस की इस बार योजना हर हालत में झारखंड में अपनी सरकार बनाने की है, जसमें सबसे बड़े रोड़ा मधु कोड़ा को किनारे लगाया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक कोड़ा की योजना इस चुनाव में 50 सीटों पर लगभग 200 करोड़ रूपये खर्च करने की थी । उनके यहां छापा पडऩे और सम्पत्ति जब्त करने की कार्रवाई करने से कोड़ा और उनके जैसे झारखंडी नेता अपनी जान बचाने के उपक्रम में लग गए हैं। यदि कोड़ा किसी बड़ी पार्टी के होते तो न तो केन्द्र सरकार, नहीं जांच एजेंसियां उनको हाथ लगाती। 60 हजार करोड़ रूपए के टेलीफोन घोटाले के आरोपी ए. राजा डंके की चोट पर यूपीए-2 सरकार में फिर से दूरसंचार मंत्री बने हुए हैं। कांग्रेस या प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह में हिम्मत हो तो उनके खिलाफ सी.बी.आई. जांच करा दें। सरकार गिर जाएगी। प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे की संस्था से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि यदि मनमोहन सरकार ईमानदारी से मधु कोड़ा जैसों की असलियत उजागर करना चाहती है तो कांग्रेस-गैर कांग्रेस शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों व उनके परिजनों की बीते 6 साल में बढ़ी सम्पति, देश के लगभग 100 प्रमुख नौकरशाहों की सम्पत्ति, बिल्डरों की सम्पति, खुफिया एजेंसियों के कुछ आला अफसरों की सम्पत्ति की जांच करा दें। पता चल जाएगा कि मधु कोड़ा उनमें कईयों के सामने कुछ नहीं हैं। अन्ना हजारे के लोगों का कहना है कि सरकार कांग्रेस के एक महासचिव की बीते 6 साल में बढ़ी सम्पत्ति की जांच करा ले, उसके पुत्र के धंधे का पता लगा ले, पता चल जाएगा कि कौन क्या है। अन्ना के लोगों का कहना कि यह सरकार कितनी ईमानदार है इसका उदाहरण इतालवी दलाल क्वात्रोकी वाला मामला है। क्वात्रोकी को किस तरह दलाली के केस से मुक्त कराने, उसे पाक-साफ घोषित कराने का उपक्रम इसी मनमोहन की यूपीए सरकार ने की है, यह इस सरकार का असली चेहरा उजागर करने के लिए काफी है। कोड़ा वाला मामला पीक एंड चूज वाला मामला है। जो इस तरह के भ्रष्ट सभी नेताओं ,नैकरशाहों,बिल्डरों,उद्योगपतियों,अफसरों, माफियाओं के खिलाफ होनी चाहिए।कृपाशंकर ने कोड़ा से संपर्कों को नकारा
महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह ने पार्टी नेतृत्व को सफाई दी है कि मधु कोड़ा से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि कोड़ा के व्यावसायिक मामलों से उनका दूर-दूर तक कोई सरोकार नहीं है। कांग्रेस के पर्यवेक्षक के तौर पर झारखंड में उनकी भूमिका रही थी, जब कोड़ा को संप्रग की ओर से मुख्यमंत्री बनाया गया था। सियासत की वजह से कोड़ा को वह जरूर जानते हैं लेकिन उनके किसी तरह के काम धंधे से परोक्ष या प्रत्यक्ष संबंध नहीं। मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष ने इशारों में ही संकेत दिया कि पार्टी के भीतर के ही कुछ लोग उनके राजनीतिक प्रभाव पर सवाल उठाने के अभियान में लगे हैं।
स्विस बैंक में कोड़ा का खाता
आयकर विभाग ने गुरुवार को ऐसे दस्तावेज मिलने का दावा किया जिसके अनुसार मधु कोड़ा और उनके सहयोगियों ने कथित तौर पर स्विस बैंकों में बड़ी मात्रा में धन जमा करा रखा है।
कृपाशंकर के पास दो पैन नंबर!
मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष और अशोक चव्हाण मंत्रिमंडल में मंत्री पद के प्रमुख दावेदार कृपाशंकर सिंह के लिए यह बुरी खबर हो सकती है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित सिंह के हलफनामे के अनुसार 2004 में पैन नंबर एवीएपीएस 1485 एल है जबकि 2009 में उन्होंने अपना पैन नंबर सीएफवाईपीएस 989 पी बताया है। इस खुलासे के बाद वे समस्याओं से घिर सकते हैं कि उन्होंने 2004 और 2009 विधानसभा चुनावों में जमा किए गए हलफनामे में अलग-अलग पैनकार्ड के नंबरों का उल्लेख किया है। आयकर सूत्रों के अनुसार किसी व्यक्ति के पैन नंबर में परिवर्तन नहीं हो सकता। अगर यह साबित होता है कि उन्होंने जानबूझकर आयकर कानून का उल्लंघन किया है तो उनके खिलाफ मामला चल सकता है। विभाग की गलती से किसी व्यक्ति को दो पैन नंबर जारी होते हैं तो एक नंबर लौटाना होता है।
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